Aligarh News: अलीगढ़ जिला अदालत का ऐतिहासिक फैसला, दस साल पुराने हत्या के मामले में दोषी को मृत्यु दंड
UP News: अलीगढ़ जिला अदालत ने दस साल पुराने मामले में अपराधी को दोषी मानते हुए मृत्यु दंड की सजा सुनाई. साथ ही अदालत ने आरोपी पर एक लाख 25 हजार का जुर्माना भी लगाया.
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Aligarh Court News: अलीगढ़ जिला कोर्ट ने हत्या के मामले रिटार्यड फौजी को मृत्यु दंड दिया है. शख्स ने अपने ही परिवार के सदस्य को मौत के घाट उतार दिया, बीच बचाव करने पहुंचे पड़ोसी को भी गोली मार दी. इसके बाद आसपास के लोगों ने शख्स को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया था. कई वर्षों तक कोर्ट में चली बहस के बाद अदालत ने आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुनाई है. करीब दस वर्ष पुराने अलगीढ़ में हुए एक बहुचर्चित हत्याकांड में शनिवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाया है.
यह मामला एक सेवानिवृत्त फौजी मनोज कुमार सिंह द्वारा अपनी पत्नी, बेटे और एक किरायेदार महिला की गोली मारकर हत्या करने से जुड़ा हुआ था. अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) द्वितीय पारुल अत्री की अदालत ने इसे विरलतम अपराध मानते हुए दोषी को मृत्युदंड (फांसी) की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने दोषी पर एक लाख 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. ये जुर्माना आरोपी की बेटी को दिया जाएगा, जिसमे अदालत ने आदेश दिया कि इस राशि का 80 प्रतिशत हिस्सा दोषी की घायल बेटी को दिया जाए, जो घटना के दौरान घायल हो गई थी.
क्या है पूरा मामला?
यह घटना 12 जुलाई 2014 की है. मामला अलीगढ़ जिले के थाना बन्नादेवी क्षेत्र का है. पीड़ित पक्ष के दिलीप कुमार, जो एक बैंक कर्मचारी हैं और सारसौल में रहते हैं, उन्होंने इस घटना की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि उनकी बहन सीमा की शादी बुलंदशहर के कोतवाली देहात क्षेत्र के गांव हरतौली निवासी मनोज कुमार सिंह से हुई थी. मनोज सेना से सेवानिवृत्त था और मेरठ में एक निजी संस्थान में नौकरी करता था. वह अलीगढ़ स्थित अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अपने बहनोई के मकान में किराए पर रहता था.
घटना के दिन मनोज अपने परिवार के साथ अलीगढ़ में था. दोपहर लगभग ढाई बजे, उसने अपने लाइसेंसी रिवॉल्वर और राइफल से अपनी पत्नी सीमा, बेटे मानवेंद्र सिंह और बेटी पर गोली चला दी. इस गोलीबारी में सीमा और मानवेंद्र की मौके पर ही मृत्यु हो गई. फायरिंग की आवाज सुनकर पास में रह रहीं किरायेदार महिला शशिबाला, जो किशनपाल सिंह की पत्नी थीं, उन्हें बचाने दौड़ीं. लेकिन मनोज ने उनकी भी गोली मारकर हत्या कर दी. इस घटना में मनोज की बेटी गंभीर रूप से घायल हो गई थी, जिसे जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया.
हत्या के बाद आरोपी को पकड़ा गया
तीन लोगों की हत्या और एक को घायल करने के बाद मनोज भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन आसपास के लोगों ने उसे हथियारों के साथ पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया. जांच में पता चला कि मनोज अपनी पत्नी और बच्चों के साथ छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करता था. पीड़ित परिवार ने इसकी शिकायत कई बार मनोज और उसके पिता से की थी, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ.
पुलिस जांच और आरोप पत्र
पुलिस ने मनोज को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने सभी साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर 16 जनवरी 2025 को मनोज को दोषी करार दिया. शनिवार, 20 जनवरी 2025 को अदालत ने अपना फैसला सुनाया. एडीजे द्वितीय पारुल अत्री ने इसे "विरल से विरलतम अपराध" मानते हुए दोषी को मृत्युदंड की सजा सुनाई. अदालत ने यह भी कहा कि दोषी पर लगाए गए जुर्माने की राशि का बड़ा हिस्सा उसकी घायल बेटी को दिया जाए, जो अब इस परिवार में जीवित बची इकलौती सदस्य है.
शासकीय अधिवक्ता मपे सिंह के द्वारा पूरे मामले पर जानकारी देते हुए बताया गया कि, इस मामले में समाज का प्रभाव इस घटना ने समाज में एक गहरी छाप छोड़ी है. यह मामला पारिवारिक विवाद के कारण हुए अपराधों की गंभीरता को दर्शाता है. कोर्ट का यह निर्णय एक संदेश है कि ऐसी जघन्य घटनाओं को न्याय के कटघरे में खड़ा कर सख्त सजा दी जाएगी. करीब 10 वर्षों से यह मामला अदालत में चल रहा था. पीड़ित परिवार ने न्याय की लड़ाई में कई कठिनाइयों का सामना किया.
अंततः अदालत के इस फैसले ने उन्हें राहत दी है. यह निर्णय न केवल दोषी को उसके किए की सजा देता है, बल्कि अन्य लोगों को भी यह संदेश देता है कि कानून और न्याय व्यवस्था के आगे कोई नहीं बच सकता. हालांकि, मृत्युदंड को लेकर कोर्ट में बहस होती रही है. और इसे अमानवीय बताया, लेकिन अदालत ने इस मामले में इसे "विरलतम" मानते हुए सख्त फैसला लिया.
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