Aligarh News: अलीगढ़ में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है, एक टीचर पर ट्यूशन पढ़ाने के दौरान एक छात्र के साथ मानसिक और शारीरिक तरीके से प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है. इसका खुलासा तब हुआ जब कक्षा दो में पढ़ने वाला बच्चा घर पर सहमा हुआ रहने लगा. अभिभावकों ने घर पर सीसीटीवी लगाए तो टीचर की क्रूरता सामने आ गई. परिवारिजनों ने थाना गांधी पार्क में तहरीर देते हुए आरोपी टीचर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. लम्बे समय के बाद अब अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. साथ ही टिप्पणी की है जिसमें शारीरिक चोट से ज्यादा मानसिक चोट को काफी गलत बताया है.


दरअसल  पूरा मामला अलीगढ़ के थाना गांधी पार्क के विकास नगर नौरंगाबाद का है जहां के रहने वाले  अमित कुमार ने 18 नवंबर 2018 को थाना गांधी पार्क में मुक़दना दर्ज कराया था. उन्होंने कहा था कि उनका सात साल का बेटा एक निजी स्कूल में कक्षा दो में पढ़ता है.  उनका बेटा ट्यूशन पढ़ने के लिए शिक्षक कमल उर्फ पिंकी शर्मा, जो शास्त्री नगर गांधी पार्क का निवासी के पास जाता था. आमित कुमार ने  महसूस किया कि उनका बेटा कुछ ज्यादा ही डरा-डरा सा रहने लगा है. काफी प्रयासों के बाद, जब बेटा चुप था और अपनी परेशानी नहीं बता पाया, तो उन्होंने एक मनोचिकित्सक  के परामर्श पर यह पता चला कि बच्चा किसी बात से काफी डरा हुआ है, जो उसके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहा था. 


CCTV में कैद हुई थी शिक्षक की करतूत
इसके बाद परिवार ने बच्चे की सुरक्षा के लिए घर में सीसीटीवी कैमरे लगाए. 16 नवंबर 2018 को जब सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई, तो उसमें यह देखने को मिला कि कमल उर्फ पिंकी शर्मा, जो बच्चे को घर के दफ्तर में पढ़ा रहा था, उसे बेरहमी से पीट रहा था. सीसीटीवी फुटेज में यह भी दिखाई दिया कि वह बच्चे को अपनी बाइक की चाबी और बॉल पेन से चुभा रहा था. बच्चे ने बताया कि शिक्षक उसे कई बार चोट पहुँचाने और उसे डराने-धमकाने का काम कर चुका था.


इसके अलावा, बच्चे ने यह भी बताया कि पिंकी शर्मा ने उसका गला दबाया था और उसे अपहरण की धमकी भी दी थी. परिवार ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और शिक्षक के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. पुलिस ने मामले में जांच शुरू की और साक्ष्यों की पुष्टि की. साक्ष्य और गवाही के आधार पर, एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या दो के न्यायधीश राघवेंद्र मणि की अदालत ने आरोपी ट्यूशन शिक्षक को दोषी ठहराया और उसे सजा सुनाई. इस मामले में शिक्षक को मारपीट और धमकी देने के आरोप में दोषी ठहराया गया, लेकिन उसे हमले की धारा में दोषमुक्त कर दिया गया.


गुरु-शिष्य परंपरा के खिलाफ था आचरण- कोर्ट
एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या दो राघवेंद्र मणि ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि अपराध के माध्यम से अभियुक्त ने ऐसा कृत्य किया जो बालक के शरीर और उससे भी अधिक उसके मन को कष्ट पहुँचाने वाला था. कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे कृत्य का प्रभाव बालक के मन से आसानी से विस्मृत नहीं हो सकता. न्यायधीश ने यह भी कहा कि इस तरह का आचरण पावन गुरु-शिष्य परंपरा के खिलाफ था, और यह बच्चों के मानसिक विकास पर नकारात्मक असर डालने वाला था.


न्यायधीश ने विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कहा कि सिद्ध दोष कमल शर्मा उर्फ पिंकी को परिवीक्षा अधिनियम का लाभ नहीं मिल सकता, क्योंकि उसने एक छोटे बच्चे के मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न में शामिल होकर उसे मानसिक रूप से परेशान किया था. इस मामले में जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण था, वह था बच्चे के मनोवैज्ञानिक प्रभाव का आकलन. केवल शारीरिक उत्पीड़न ही नहीं, बल्कि मानसिक उत्पीड़न भी उसके जीवन में गहरी छाप छोड़ सकता है. जब बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने के स्थान पर डर और मानसिक दबाव का सामना करना पड़ता है, तो उसकी समग्र विकास प्रक्रिया पर गंभीर असर पड़ता है.


इसी प्रकार के मामलों में यह भी जरूरी होता है कि हम अपने बच्चों को मानसिक सुरक्षा और शारीरिक सुरक्षा दोनों ही प्रदान करें. किसी भी शिक्षा देनेवाले व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि उसके कार्यों का असर बच्चों पर जीवनभर पड़ सकता है, और इससे बच्चे की मानसिक स्थिति, आत्मविश्वास और शिक्षा पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है.


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