Former DGP Vikram Singh in Aligarh: अलीगढ़ (Aligarh) में आज पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह (Vikram Singh) नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी (Noida International University) के कार्यक्रम में शामिल होने आए थे. इस दौरान मीडिया से बात करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के एक सवाल उन्होंने कहा कि जो चीज न्यायालय में विचाराधीन है उस पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. लेकिन न्यायालय में किसी प्रकरण का जाना, न्यायालय द्वारा संज्ञान लेना, न्यायालय के द्वारा आयोग, कमीशन नियुक्त करना और कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर सर्वत्र अगर चर्चा हो रही है, जो काम अगर 300 साल में नहीं हुआ वो अगर आज हो रहा है तो आप समझ सकते हैं की हवा किधर की तरफ है.
न्यायालय का निर्णय सर्वोपरि है
प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट को लेकर विक्रम सिंह ने कहा कि धारा 4, उपधारा 3ब जो प्लेसेज ऑफ वरशिप जो 100 साल से ऊपर है यानी पुरातात्विक महत्व के हैं उनके ऊपर यह लागू नहीं होता है. ये 100 साल से ऊपर है इसलिए प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट लागू नहीं होता. न्यायालय का निर्णय सर्वोपरि है, जो न्यायालय आदेश देगा और हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जो व्यवस्था देगा वो होगा. न्यायालय ने भी कभी कोई कमीशन नहीं बनाय और ना कभी कमीशन बना, आज अगर सर्वत्र चर्चा हो रही है तो जरूर ऐसी तथ्यात्मकता बातें हैं जो संज्ञान में आई हैं जिसके लिए लोग जागरूक होंगे.
यासीन मलिक के लेकर कही ये बात
यासीन मलिक को सजा होने के मामले पर पूर्व डीजीपी ने कहा कि यही होना चाहिए. हमारे आपके भाई बहनों, बुजुर्ग, बहन, बेटियों की जिसने हत्या की है, जिसका हाथ खून से सना है, क्या मजबूरी है कि आप दफ्तर में उसको बुलाकर हाथ मिला रहे हैं. क्या मजबूरी है अरुंधति राय की, स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश की, उसको बुलाकर गले लगा रहे हैं. ये लोग भारत के ही नहीं मानवता के दुश्मन हैं और उनको जो सजा मिली, न्यायालय को सलाम करते हुए कहूंगा कि उनको फांसी मिलनी चाहिए थी. मेरा एनआईए को परामर्श होगा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील करके इनके आजीवन कारावास को मृत्युदंड में परिवर्तित कराएं.
अखिलेश यादव कानून व्यवस्था की बात ना करें
प्रदेश में कानून व्यवस्था के मामले पर उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव कानून व्यवस्था की बात ना करें. उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के समर्थन में उन्होंने फर्जी मुकदमें किए थे. विक्रम सिंह ने कहा कि वो रिटायर्ड हो गए थे और बृजलाल जो आज राज्यसभा सांसद हैं, वो सर्विंग डीजीपी थे. उस समय बाराबंकी में एक चरमपंथी, जो कि ट्रिपल ब्लास्ट का मुलजिम था, वो लू लगने से मर गया था. उसके मरने पर मेरे ऊपर हत्या का मुकदमा कायम कर रहे थे. हालांकि, ये मामला बाद में न्यायालय में टिक नहीं सका.
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