UP Latest News: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक ऐसा बंकर मौजूद हैं, जिसमें क्रांतिकारी युद्ध के बाद इसमें पनाह लेते थे. अलीगढ़ के पुराने शहर के नजदीक स्थित हकीम की सराय का है, जहां मौजूद करीब ढाई सौ साल से ज्यादा पुराना 35 फीट लंबी और 7 फीट से ज्यादा चौड़ा एक बंकर मौजूद हैं. अंग्रेजी शासन काल के दौरान अलीगढ़ में क्रांतिकारियों के द्वारा इस बंकर को अंग्रेजों से लोहा लेने के बाद पनाह लेने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण स्थान के रूप में चुना गया था.


अंग्रेजों पर हथियार थे क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी अपने दिमाग का इस्तेमाल किया करते थे. उनके द्वारा सुरंगनुमा एक बंकर को तैयार किया था. स्वतंत्र स्वतंत्रता सेनानी मदनलाल हितेषी के जमाने से इस  की देखभाल अब मदन लाल हितेषी के परिवारीजनों के द्वारा की जा रही है. सुरंग की स्थिति अब जर्जर अवस्था में होने के बावजूद भी यह किसी आधुनिक बंकर से कम नहीं दिखाई देती है. प्रशांत हितैसी स्वतंत्रता सेनानी रहे मदनलाल हितैसी के पोते हैं जिनके द्वारा बताया गया महान क्रांतिकारी उनके दादा के द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल 1942 में फूंका था. 


अंग्रेजों से लोहा लेने में होता था बंकर का इस्तेमाल
अंग्रेजों पर घातक हथियार थे, अंग्रेज क्रांतिकारियों के दुश्मन बने हुए थे यह वो वक्त था जब दिमाग से काम लेने की जरूरत थी क्रांतिकारी योजना बनाते और योजना को अंजाम तक पहुंचाने के बाद इस बंकर का इस्तेमाल करते और इस बंकर की पनाह लेते तो वह सुरक्षित रहते अलीगढ़ में उस समय एक नारा जोर-शोर से चल रहा था. वह नारा था अलीगढ़ का लाल मदनलाल, वह युवाओं के लिए प्रेरणा थे उस समय क्रांतिकारियों के दिल में स्वतंत्र होने की ज्वाला साफ-साफ सीने में नजर आ रही थी इस बंकर का निर्माण इस तरह से किया गया था कि वह एक जगह से दूसरी जगह पर जाने तक में सहयोग दे सके, अलीगढ़ में मौजूद पुराने शहर में उस समय  पुरानी ईटों के मकान ऊंची ऊंची दीवारों से बने हुए थे, जिसके चलते कौन से मकान में कौन सी सुरंग है और कौन से बंकर हैं इस बात का अंदाजा लगाना नामुमकिन था.


इसी बात का फायदा स्वतंत्रता सेनानियों को मिलता और स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा ऐसी जगह पर बैठकर अपने युद्ध की जीत की पटकता लिखी जाती स्वतंत्रता सेनानीयों का कहने को तो लंम्बा चौड़ा इतिहास है लेकिन इस बंकरनुमा सुरंग को लेकर स्वतंत्रता सेनानियों का अलग जज्बा रहा है इस जज्बे से लवलेस स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा हर रोज अंग्रेजों को पटकनी दी जाती,और जगह-जगह देश की स्वतंत्रता का तिरंगा लहराया था.


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