Aligarh Sales Tax Team Raid On Transport Company: अलीगढ़ में सेल टैक्स विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही थी कि कई ट्रांसपोर्ट कंपनियां बोगस फर्मों के फर्जी बिल तैयार करके विभाग को करोड़ों रुपयों का चूना लगा रही हैं. इसी सूचना के आधार पर बुधवार देर शाम को जीएसटी टीम (GST Team) ने प्रेम कार्गो मूवर्स (Cargo Movers) के दो ठिकानों पर छापा मारा. इस दौरान दोनों गोदामों से 200 नग माल पाया गया. जिसमें से 150 नग माल के दस्तावेज नहीं मिले. इसके साथ ही यहां पर सात फर्मों की 18 बिल बुक मिली. टीम अब ट्रांसपोर्ट कंपनी के खिलाफ कार्रवाई में जुट गई है. 


जीएसटी टीम की छापेमारी में सामने आई ये बातें
दरअसल जेसी एसआईबी ओपी राय के नेतृत्व में डीसी एसआईबी आरपीएस कौंतेय ने टीम के साथ प्रेम कार्गो मूवर्स ट्रांसपोर्ट एजेंसी के शाहकमाल रोड व मथुरा रोड गोदाम पर छापा मारा.दोनों गोदामों पर 200 नग माल मिला, जिसमें 150 नग माल बिना दस्तावेज के पाया गया. शाहकमाल रोड पर बड़ी संख्या में फर्जी बिल बरामद किए और अलीगढ़ की सात फर्मों के 18 बिल बुक मिले हैं. इन्हीं बिल बुक से व्यापारियों के माल की बुकिंग कर माल भेजा जाता था. यहां से माल मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र को भेजा जाता है. इनमें से 15 नग माल व 18 बिल बुक सीज कर दिए गए हैं. बिल बुक जिन कंपनियों के हैं, उनसे पूछताछ की जाएगी. इसके साथ ही ये जानने की भी कोशिश की जाएगी कि ये बिल बुक खुद ट्रांसपोर्ट कंपनी ने छपवाए हैं या फिर ये असली हैं. 


 

डिप्टी कमिश्निर ने छापेमारी पर दी जानकारी
डिप्टी कमिश्नर ने आरपीएस कौन्तेय ने बताया कि उन्होंने लगातार शिकायत मिल रही थी कि ट्रांसपोर्टर के द्वारा बोगस टाइप की फ़र्मों के बिलों के आधार पर माल का ट्रांसपोर्ट किया जाता है. ये ऐसे बिल होते हैं जो सही नहीं होते हैं. कुछ बिल ट्रांसपोर्टर के द्वारा स्वयं ही बना दिए जाते हैं. जिसके बाद अधिकारियों को कड़ी कार्रवाई के निर्देस दिए गए. इसकी रैकी की गई और खबर के आधार पर जानकारी मिली कि इस ट्रांसपोर्टर के द्वारा खुद ही बिल बनाए जा रहे हैं और अलग अलग फर्मों के बिल बुक यहां रखे जा रहे हैं.

 

धड़ल्ले से की जा रही थी टैक्स की चोरी

डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि इस छापेमारी में लगभग 8 फर्मों की 18 ऐसी बिल बुक मिली है जो इनके ऑफिस में रखी हुई थी. जिसमें आज के बिल भी बनाए गए हैं. यह कहे कि ये फर्मे उनके द्वारा संचालित की जा रही है यह सही नहीं होगा, बल्कि किसी और के माल पर ये अपना बिल लगा देते थे. ये एक तरह से सीधे-सीधे कर चोरी का मामला है जिसमें ट्रांसपोर्टर द्वारा कर चोरी कराई जा रही थी. 

 

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