Aligarh News: अलीगढ़ में स्वास्थ विभाग की बड़ी लापरवाही, शव ले जाने के लिए लोग निजी एम्बुलेंस का कर रहे उपयोग
UP News: अलीगढ़ जिले में मरीजों की जान बचाने वाली सरकारी एंबुलेंस मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जंग खाकर सड़ गई. जिसके चलते अब यह सरकारी एंबुलेंस शव ढोने के काबिल भी नहीं रही है.
Aligarh News: उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल उस वक्त खुल गई. जब प्रदेश सरकार के द्वारा गरीब मजलूमों की मौत के बाद उनके शवों को ले जाने के लिए जिले को तीन शव वाहन एंबुलेंस दी थी. जहां सरकार द्वारा दी गई तीनों शव वाहन एम्बुलेंस पिछले कई वर्षों से संचालित नहीं होने चलते सफेद हाथी की तरह मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में खड़ी रहकर कंडम होने के कारण सड़कर धूल फांक रही है. बावजूद इसके मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपने ही विभाग की नाकामी को छिपाने में लगे रहने के साथ ही गोल-मोल जवाब देते रहे.
उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग की सरकारी योजनाओं को अलीगढ़ जिले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा पलीता लगाए जाने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है.जहां एक तरफ लगातार स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य विभाग मृतक मरीजों के शवों के लिए एंबुलेंस मिलने का दावा करती है. वहीं, उनके दावों की पोल अलीगढ़ जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के अंदर सफेद हाथी की तरह बुत बनकर खड़ी शव ले जाने वाली एंबुलेंस खोल रही है.
तीन एंबुलेंस की हालत जर्जर
प्रदेश में सरकार की उदासीनता का हाल बड़ा ही बुरा है. आलम ये है कि यहां के मंत्रियों को नई-नई सरकारी कारों का शौक है तो आम लोगों की तरफ देखने सुनने वाला कोई नहीं है. बदहाली कुछ ऐसी है कि यहां पर राज्य सरकार द्वारा अलीगढ़ जिले में शव ले जाने के लिए मुहैया करवाई गई तीन ऐंबुलेंस खराब पड़ी हैं, मरीजों की जान बचाने वाली अधिकांश एंबुलेंस जंग खाकर सड़ गई. अब ये न तो मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में काम आ सकेगी और न ही शव को ले जाने में.
निजी एंबुलेंस का उपयोग कर रहे लोग
यह हालत तब है जब शव ले जाने के लिए सरकारी स्तर पर जिले के स्वास्थ्य विभाग को शव वाहन उपलब्ध कराया गया है. जो सीएमओ कार्यालय सहित जिला अस्पताल में ही खड़ा रहता है. जिला अस्पताल की स्थिति यह है कि यहां हर समय आधा दर्जन से ज्यादा प्राइवेट एम्बुलेंस मौजूद रहती है. जिला अस्पताल के कर्मचारी सरकारी शव वाहन का उपयोग न करके लोगों को प्राइवेट एम्बुलेंस से मृतकों का शव भिजवाने में लगे रहते है. शव वाहनों के बावजूद मजबूरी में गरीब परिजनों को महंगी दर पर निजी एंबुलेंस कर शव को पहले पोस्टमार्टम हाउस और उसके बाद घर ले जाना पड़ता है.
'लोगों की मांग पर वाहन होगा उपलब्ध'
इस बारे में जब सीएमओ डॉ नीरज त्यागी से पूछा गया तो उन्होंने घोर लापरवाही पर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए अपना बचाव करते हुए बताया कि उनके कार्यालय में एक ही शव वाहन हैं. दूसरा शव वाहन जर्जर कंडम हालत में खड़ा हुआ है. जबकि तीसरा वाहन जिला अस्पताल में मौजूद है. सूचना मिलने पर वाहन भेज दिया जाता हैं. सरकार की योजना को पलीता लगाए जाने के सवाल पर उन्होंने अपील करते हुए कहा कि एक शव वाहन उनके कार्यालय और दूसरा शव वाहन जिला अस्पताल में खड़ा है. लोगों के मांग करने पर आगे से शव वाहन उपलब्ध कराया जाएगा.
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