UP News: अलीगढ़ (Aligarh) में प्रख्यात इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब (Irfan Habib) ने कहा है कि औरंगजेब (Aurangzeb) ने मंदिर तोड़ा था और उस जमाने में छुपकर काम नहीं होते थे. इतिहास की तारीख में मंदिर तोड़ने की घटना दर्ज है. हिंदू मंदिर के प्रतीक ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) में पाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब भी पुराने समय में मस्जिद या मंदिर बने, तो उसमें बौद्ध विहारों के पत्थर मंदिरों में मिले हैं. तो क्या मंदिरों को तोड़ दिया जाएं.
उन्होंने कहा कि यह बेवकूफी भरी बातें हैं. ऐसी स्थिति में बहुत से मंदिर टूट जाएंगे क्योंकि उसमें बौद्ध धर्म के पत्थर लगाए गए हैं. हालांकि इरफान हबीब ने कहा कि मैं हिस्टोरियन हूं, पॉलिटिक्स नहीं करता हूं. ज्ञानवापी मस्जिद पर उन्होंने कहा कि आगे क्या होगा, मुझे नहीं मालूम. ज्ञानवापी के कानूनी मसले पर इरफान हबीब बोलने से बचते रहे.
क्या बोले इतिहासकार?
प्रोफेसर इरफान हबीब ने स्पष्ट तौर पर बताया कि बनारस का मंदिर औरंगजेब ने तोड़ा था और मथुरा का भी मंदिर इसमें शामिल है. जिसे राजा वीर सिंह बुंदेला ने जहांगीर के शासनकाल में बनवाया था. उन्होंने बताया कि यह दो मंदिर प्रमुख हैं. जिसे औरंगजेब ने तोड़ा था और इसमें कोई दो राय नहीं है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जो चीज सन् 1670 में बन गई हो, क्या अब उसे तोड़ सकते हैं. यह स्मारक एक्ट के खिलाफ है.
प्रो. इरफान हबीब कहते हैं कि मंदिर जानकर ही औरंगजेब ने काशी, मथुरा का मंदिर तोड़ा था. बनारस का मंदिर कितना पुराना है इसके बारे में खुलकर नहीं बताया. लेकिन मथुरा का केशव राय का मंदिर जहांगीर के समय में भव्य बनाया गया था. मंदिर तोड़ने के बाद औरंगजेब ने कहा था कि मैं मंदिर नहीं बनने दूंगा.
हालांकि मुगल काल में मंदिर बने हैं. लेकिन काशी, मथुरा के मंदिर औरंगजेब ने तोड़ा था. अयोध्या में मंदिर बनने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सन् 1992 में अयोध्या में मस्जिद तोड़ दी गई. उसको चाहे जितना बुरा भला कहें, लेकिन मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया. नई इमारत अब बना सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी अब जमीन दे दी है.
शिवलिंग पर क्या बोले?
प्रोफेसर इरफान हबीब ने बताया कि ज्ञानवापी में शिवलिंग की बात कही जा रही है. लेकिन जो याचिका दाखिल की गई थी. उसमें जिक्र नहीं था. शिवलिंग बनाने का एक कायदा होता है. हर चीज को शिवलिंग नहीं बता सकते. उन्होंने कहा कि जो मुकदमा दायर किया गया. उसमें शिवलिंग का जिक्र नहीं था. लेकिन अब शिवलिंग को मुद्दा बनाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पहले जब मंदिर तोड़े गए, तो उसके पत्थर मस्जिदों में इस्तेमाल किए गए.
बहुत सी मस्जिदों में हिंदू प्रतीकों के पत्थर प्रयोग किए गए थे. प्रोफेसर इरफान हबीब ने बताया कि बहुत से मंदिरों में भी बौद्ध धर्म से जुड़े पत्थर मिल जाएंगे. राणा कुंभा का चित्तौड़ में बड़ा मीनार है. उसके एक पत्थर पर अरबी में 'अल्लाह' लिखा है. तो उसे मस्जिद नहीं कह सकते. यह बेवकूफी भरी बातें हैं. क्या मुसलमान कहेंगे कि यह मस्जिद है और हमें दे दिया जाएं.
ये भी पढ़ें-