Aligarh News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अलीगढ़ में जमीनों के पट्टे गलत तरीके से बहाल करने के आरोप में आईएएस अधिकारी देवी शरण उपाध्याय को निलंबित कर दिया है.वह 2012 बैच के आईएएस है.सरकार ने पहले उनको सदस्य न्यायिक राजस्व परिषद प्रयागराज के पद से हटाते हुए वेटिंग में रखा था, लेकिन बाद में सरकार ने उनको निलंबित कर राजस्व परिषद के साथ संबद्ध कर दिया है.पट्टों को गलत तरीके से बहाल करने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कुछ लोगों ने अलीगढ़ से शिकायत की थी.


दरअसल वर्ष 1982 में अलीगढ़ के गांव मिर्जापुर सिया की करीब 82- 83 हेक्टेयर जमीन 29 लोगों को पट्टे पर दी गई थी.इसको लेकर 1988 में शिकायत की गई कि जो पट्टे हुए हैं. वह गलत तरीके से हुए हैं उनमें से कई लोग बाहर के रहने वाले हैं और कइयों के पास जमीन है.इस पर अलीगढ़ प्रशासन ने पांच पट्टों को निरस्त करते हुए 24 को बहाल कर दिया था.इस पर जिन पांच लोगों के पट्टे निरस्त हुए थे वह लोग राजस्व परिषद चले गए. जिस पर राजस्व परिषद ने उनके भी पट्टे बहाल कर दिए.


24 लोगों के पट्टे किए गए थे निरस्त
2021 में इस मामले की शिकायत फिर शासन स्तर पर की गई.साथ ही गांव की रहने वाली शमा परवीन ने एडीएम कोर्ट में दोबारा अपील की.इस पर फिर मामला तत्कालीन एडीएम प्रशासन डीपी पाल के न्यायालय में आया.सारे दस्तावेजों का अवलोकन और जांच के बाद एडीएम प्रशासन कोर्ट ने 14 नवंबर 2022 को 29 में से पांच पट्टों को बहाल कर दिया. जबकि 24 पट्टों को निरस्त कर दिया.जिन 24 लोगों के पट्टे निरस्त किए गए थे. वह लोग इसके खिलाफ वाद लेकर राजस्व परिषद में चले गए.जिस पर राजस्व परिषद ने पूरे मामले पर स्टे लगा दिया.


आईएएस देवी शरण हुए निलंबित
इस पर दो पट्टेदार स्टे आर्डर के खिलाफ हाई कोर्ट चले गए. हाई कोर्ट ने दोनों की रिटों के आधार पर स्टे ऑर्डर कैंसिल कर दिया. वह राजस्व परिषद को निर्देश दिए कि इस मामले को निगरानी करते हुए जल्द से जल्द खत्म किया जाए. यानी गेंद वापस राजस्व परिषद के पाले में पहुंच गई थी.अब 6 जून को आइएएस देवी शरण उपाध्याय ने आदेश करते हुए सारे के सारे पट्टों को पास कर दिया.इसके खिलाफ एडीएम प्रशासन ने रिव्यू दाखिल किया हुआ है.सरकार ने मामले में राजस्व परिषद के सदस्य रहे आईएएस अधिकारी देवी शरण उपाध्याय को निलंबित कर दिया है.


शिकायतकर्ता के पुत्र शोएब ने क्या कहा
शमा परवीन के पुत्र शोएब ने बताया कि खेत आवंटित हुए थे 1982-83 में जिसकी ना कोई पत्रावली है.बाहर के लोगों को आवंटन हुए थे.जो बाराबंकी, आजमगढ़, एटा,फर्रुखाबाद के रहने वाले थे.ऐसे लोगों को आवंटन किए गए थे जो सरकारी कर्मचारी थे बिजली विभाग में, एएमयू में थे .अपात्र व्यक्ति थे उन लोगों को हुए.किसी पात्र व्यक्ति को नहीं हुए थे.मैंने मुख्यमंत्री साहब से इसकी शिकायत की थी उनके यहां शिकायत प्रार्थना पत्र दिया था और यहां जिले पर भी की थी तहसील में.तहसील में पहले दी थी तो कर्मचारी मिले हुए थे.उनकी मिलीभगत से रिपोर्ट जाती रही.


'सरकारी जमीन कब्जा मुक्त होनी चाहिए'
जब मुख्यमंत्री साहब का लेटर आया तब संज्ञान लिया गया.यह कार्यक्रम हुआ.16-11-22 को आवंटन निरस्त कर दिए गए.यह लड़ाई मेरे पिताजी लड़ रहे थे वह गुजर चुके.और अब मैं लड़ाई लड़ रहा हूं.एक ही आईएएस नहीं है और भी कई आईएएस है.कई लोग शामिल है जिनका संरक्षण भूमाफियाओं को है.इनका कोई निचले स्तर पर नहीं है और भी आसपास के कोई मामलों की छानबीन बारीकी से हो तो ढाई हजार से ज्यादा भूखंड है जो गलत तरीके से आवंटन किए गए हैं. जो शहर से लगे हुए हैं.ऐसी सरकारी जमीन यह कब्जा मुक्त होने चाहिए और सब की जांच होनी चाहिए..


क्या बोले जिलाधिकारी पंकज कुमार
मामले पर अलीगढ़ के अपर जिलाधिकारी प्रशासन पंकज कुमार ने बताया कि हमारे यहां कोल तहसील में मिर्जापुर सिया गांव है. वहां 1984- 85 में 29 लोगों को पट्टे हुए थे. करीब 82- 83 हेक्टेयर जमीन आच्छादित थी.पट्टा कैंसिलेशन का वाद यहां एडीएम के यहां चला था.2022 में वह पट्टे निरस्त किए गए.कुछ लोगों के बहाल कर दिए गए.जिसके विरुद्ध वह लोग कोर्ट में चले गए जहां पर बोर्ड ने जो फाइनल ऑर्डर पास किया 6 तारीख को उसमें एडीएम के ऑर्डर को निरस्त करते हुए सभी पट्टों को बहाल कर दिया है.इसके विरुद्ध शासकीय अधिवक्ता के माध्यम से हम लोगों ने रिव्यू पिटीशन डाली है.


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