Aligarh News Today: अलीगढ़ की जेल में बंद कैदी अब सिर्फ अपने दोषों की सजा नहीं भुगत रहे हैं बल्कि अपने हुनर से समाज में सकारात्मक योगदान भी दे रहे हैं. अलीगढ़ के कारखानों के कुशल कारीगरों की तरह जेल के कैदी भी अब अपने हुनर का बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं.
जेल कैदियों के जरिये तैयार किए गए ताले, लकड़ी से बने ओम, हनुमान बूटी और अन्य हस्तशिल्प उत्पाद महाकुंभ में श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनेंगे. महाकुंभ में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह स्टॉल खास होंगे, जहां इन हस्तनिर्मित उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा.
जिला कारागार में बंद कैदी अब अपने हुनर से न केवल आत्मनिर्भर हो रहे हैं बल्कि उन्हें एक नया मंच भी मिल रहा है. कैदियों के हुनर की मिसाल इस बार महाकुंभ में देखने को मिलेगी, जहां कैदियों के हाथ बने उत्पाद श्रद्धालु खरीद सकेंगे. इससे उनकी कला को सम्मान मिलेगा. साथ ही यह पहल कैदियों के पुनर्वास और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित होगी.
महाकुंभ में दिखेगा कैदियों का हुनर
पूरी दुनिया में अलीगढ़ अपने खास तालों और शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है. इस बार जिला कारागार के कैदियों के बनाए ताले महाकुंभ में प्रस्तुत किए जाएंगे. जेल वरिष्ठ अधीक्षक के अनुसार, कारागार में हर दिन लगभग 1200 ताले तैयार किए जा रहे हैं. इन तालों को महाकुंभ में सस्ते दामों पर श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.
कैदियों के इस कौशल की अधिकारी भी सराहना कर रहे हैं. इस संबंध में अधिकारियों ने बताया कि कैदियों का काम सिर्फ ताले बनाने तक सीमित नहीं है. यह पहल कैदियों को आत्मनिर्भर बनने और समाज में दोबारा अपनी जगह बनाने का अवसर प्रदान करती है.
'जेल विभाग लगायेगा स्टाल'
जेल के वरिष्ठ अधीक्षक बिजेंद्र सिंह यादव ने जानकारी दी कि इस बार महाकुंभ में जेल विभाग की तरफ से एक स्टॉल स्थापित किया जाएगा. इस स्टॉल पर न सिर्फ ताले बल्कि कैदियों के जरिये बनाए गए लकड़ी के अलग-अलग सामान भी प्रदर्शित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु इन सामानों को खरीद सकेंगे. इससे न केवल कैदियों की कला को पहचान मिलेगी बल्कि श्रद्धालुओं को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद भी महाकुंभ में उचित दामों पर मिलेगा.
जेल में सीखी ताला बनाने की कला
जेल में सजा काट रहे मनोज कुमार ने बताया कि उन्होंने जेल में ही ताला बनाने की कला सीखी. उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे बनाए ताले देश और विदेश में प्रसिद्ध हो रहे हैं. महाकुंभ में इनके प्रदर्शन से हमारा मनोबल और बढ़ेगा.
'कैदियों के पुनर्वास में महत्वपूर्ण'
कैदी मनोज ने कहा कि जेल प्रशासन ने उन्हें यह अवसर दिया है, जिससे वह अपने जीवन को एक नई दिशा दे पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि हर दिन जेल में लगभग बारह से तेरह सौ ताले तैयार किए जा रहे हैं. इस काम से न सिर्फ उनके समय का सदुपयोग होता है, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाता है.
कैदियों ने इस पहल को अपने जीवन में बदलाव की एक अहम कड़ी बताई है. उनका कहना है कि इस प्रयास से न केवल उनके कौशल को पहचान मिली है बल्कि उन्हें समाज में इससे सम्मानजनक स्थान पाने की उम्मीद भी बढ़ी है. महाकुंभ के इस आयोजन से अलीगढ़ के कैदियों को एक नई पहचान मिलेगी. यह कैदियों के पुनर्वास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.
ये भी पढ़ें: मंदिर-मस्जिद पर मोहन भागवत को मिला मुस्लिम धर्मगुरुओं का साथ, कहा- 'यह वादे के मुताबिक है'