Khair Bypoll 2024 Results: अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर बुधवार को मतदान संपन्न हो गया. यहां पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधी टक्कर थी. ऐसे में हर कोई इस बात को लेकर चर्चा कर रहा है कि कौन किस पर कितना भारी पड़ा. खैर उपचुनाव को लेकर स्थानीय पत्रकारों में अलग-अलग तरह की राय देखने को मिल रही है, कुछ का मानना है कि खैर में बीजेपी हैट्रिक लगा सकती है तो वहीं कई जानकारों का कहना है कुछ उम्मीदवारो को सियासी बैकग्राउंड का फायदा मिला है. 


खैर उपचुनाव में 46.3 फीसद मतदान हुआ, जिसे लेकर वरिष्ठ पत्रकार मृत्युंजय शर्मा ने कहा कि इस बार वोट का प्रतिशत काफी कम रहा है. पहले यहां बसपा का जनाधार काफी था लेकिन, इस बार बसपा के जनाधार में कमी आई है. आजाद समाज पार्टी से दलित वोट खींचने की उम्मीद थी लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. सपा को पहले मुकाबले इस बार मुस्लिम वोट ज्यादा मिलेगा वहीं सपा का प्रत्याशी दलित और उनके पति के जाट होने की वजह से दलित और जाट वोट सपा को मिल सकता है. लेकिन, बीजेपी की चुनावी कैंपेन का फायदा भाजपा प्रत्याशी को पूरी तरह मिला है 


खैर में किसका पलड़ा रहेगा भारी?
अलीगढ़ में एक और बड़े अख़बार के संपादक जितेंद्र वार्ष्णेय ने कहा कि ये चुनाव काफी दिलचस्प रहा. इस बार सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच ही टक्कर दिखाई दी. बसपा और आजाद समाज पार्टी दूर-दूर तक दिखाई नहीं दी. सपा प्रत्याशी ने इसमें मेहनत तो बहुत की लेकिन उनके ससुर पर पूर्व विधायक मलखान सिंह की हत्या के आरोपों का उन्हें नुक़सान भी उठाना पड़ा, जाट समुदाय उनसे नाराज़ दिखा. 


उन्होंने कहा कि सपा ने चुनाव प्रचार की शुरुआत तो अच्छी की थी लेकिन बाद में उसका असर कम हो गया. सपा का प्रचार जमीन पर दिखाई नहीं दिया. चुनाव के आखिर तक ये बिगड़ता गया. जबकि बीजेपी उम्मीदवार सुरेंद्र दिलेर को परिवार की सियासी विरासत का फायदा मिला. निर्भीक और स्वच्छ छवि होने को वजह से लोगों ने उन्हें पसंद किया. हाथरस से विधायकी और सांसदी का चुनाव लड़ने वाले दिलेर परिवार का खैर की जनता भी स्वागत किया.


वरिष्ठ पत्रकारों की राय
मोहम्मद सेजी नाम के वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि भाजपा और सपा ने कैम्पिंग अच्छी की. जबकि दूसरे दल इसमें दिखाई भी नहीं दिए. सपा आखिरी वक्त में कमजोर पड़ गई जिसका फायदा बीजेपी को होता दिख रहा है. भाजपा प्रत्याशी का दादा की विरासत का फायदा मिला है. उपचुनाव में वोट प्रतिशत कम रहता है लेकिन बीजेपी की लीड दिख रही है. एक और पत्रकार अकरम खान ने कहा कि कुछ वोटर भाजपा से नाराज थे 2024 के चुनाव में इसको लेकर खैर में भाजपा को इसी विधानसभा से हार मिली थी. लेकिन, बीजेपी की प्रत्याशी अच्छा होने की वजह से जनता नाराज नहीं दिखी.  
 
भाजपा सरकार में पिता सांसद, विधायक रहे लेकिन सुरेंद्र दिलेर ने कभी इसका फायदा नहीं उठाया. उनके वोट मांगने के तरीके से भी लोग प्रभावित दिखे, दबकि सपा प्रत्याशी चारु केन को ससुर की वजह से नुक़सान हुआ. 46%3 मतदान कम होने की वजह से भाजपा को फायदा होगा. वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद आबिद ने कहा कि इस चुनाव में सपा की सबसे बड़ी कमजोरी सपा खेमें में गुटबाजी, प्रत्याशी को किसी बड़े राजनीतिकार ने कैम्पिंग में सहायता ना करना, साथ ही सभी बूथों पर समाजवादी कार्यकर्ताओं की पकड़ से दूर बूथों से वोटर समझ चुके थे जिससे सपा इस लड़ाई से दूर हो गई. 


एक निजी अखबार के संपादक ने कहा कि इस चुनाव में बीजेपी लगातार मेहनत करते दिखाई दी. सीएम योगी ने खैर में चुनाव प्रचार के लिए आए तो वहीं बीजेपी की टीम ने भी अच्छा काम किया. सपा की गुटबाजी, पार्टी के उम्मीदवार पर भारी पड़ गई. सपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने सहयोग नहीं किया, महज खानापूर्ति के लिए काम करते दिखाई दिए. जिसका नुक़सान सपा को होगा. 


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