Aligarh News: यूपी सरकार के निर्देश के बाद अलीगढ़ में शुरू हो गया मदरसों का सर्वे, प्रबंधकों से पूछे गए ये सवाल
उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश के बाद अब सभी जिलों में मदरसों का सर्वे शुरू हो गया है. अलीगढ़ में भी निर्देश के बाद मदरसों का सर्वे कराया गया है.
UP News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार के निर्देशों के बाद अब तमाम जिलों में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों (Madrassa) में सर्वे का काम शुरू हो चुका है. अल्पसंख्यक कल्याण विभाग (Minority Affair Department), बेसिक शिक्षा विभाग (Basic Education Department) और तहसील की संयुक्त टीम ने जौहरबाग क्षेत्र में मदरसा फैजाने मुस्तफा का निरीक्षण किया. उन्होंने मदरसे में जाना कि आखिर वहां पर क्या सुविधाएं हैं? उनकी आय का स्रोत क्या है? और तमाम अन्य चीजें थी जो उन्होंने वहां के लोगों से जानकारी की.
मौलाना सैय्यद जमाल ने यह बताया
फैजाने मुस्तफा के मौलाना सय्यद जमाल ने बताया कि यहां जांच के लिए टीम आई है कि मदरसे में कितने बच्चे और शिक्षक हैं. कितने कमरे और बाथरूम हैं. मदरसा में कैसे पढ़ाई हो रही है. इस मदरसा में अभी तक पांचवी कक्षा के बच्चे हैं. हम आगे की कक्षा के लिए मान्यता लेने का प्रयास कर रहे हैं. इसमें आठवीं तक मान्यता ले ले. हमारी ओर से सहूलियत हो जाएगी उसकी हम कोशिश करेंगे. सरकार जांच करा रही है उससे यह फायदा होगा जो गरीब बच्चे मदरसे में पढ़ रहे हैं. शिक्षक की सैलरी बहुत कम है. उनकी मदद कर सकती है. अगर मालूम हो जाएगा कि कितने बच्चे कैसे पढ़ते हैं शिक्षक परेशान हैं. सरकार की नजर में होगा तो सरकार उनकी मदद कर सकती है. मदरसे में कोविड से पहले 250 बच्चे पढ़ते थे लेकिन उसके बाद दो साल से बंद था लेकिन अब 60-70 के करीब है.
अधिकारियों ने सर्वे को लेकर यह दी जानकारी
खंड शिक्षा अधिकारी लालबाबू द्विवेदी ने बताया कि गवर्नमेंट द्वारा निर्देश दिया है कि गैर मान्यता प्राप्त जो मदरसे हैं उनके 12 पैरामीटर पर हमें डाटा कलेक्ट करना है. उसके तहत ही हम यहां पर डाटा कलेक्ट करने आए थे. फैजाने मुस्तफा जोहरा बाग में मदरसा है. इस मदरसे का संचालन एक सोसाइटी द्वारा किया जाता है. उनके द्वारा बताया गया कि वक्फ की जमीन है. और बाकी एक हॉल है 40 बाई 70 फीट का उसमें ही बच्चों को पढ़ाते हैं. 1990 से संचालित है और उन्होंने हमें 2012 में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी द्वारा दी गई मान्यता के पेपर दिखाए गए हैं. बच्चे यहां पढ़ रहे हैं. बच्चों से 10 रुपये फीस ली जाती है और बाकी चैरिटी से यहां पैसा आता है. हालांकि इसका कोई डॉक्यूमेंट नहीं दिखाया गया है.
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