Aligarh News: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अपने अलग-अलग शोध के लिए अब नए-नए कीर्तिमान स्थापित करता हुआ नजर आ रहा है. जिसमें अब एक कीर्तिमान भी एएमयू के नाम हो चुका है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के द्वारा 10 वर्ष के कड़े शोध के बाद एक ऐसी बीमारी का पता लगाया है. जिसके बाद धान की पैदावार करने वाले किसानों के चेहरे पर मुस्कान साफ तौर पर देखने को मिलेगी. लंबे समय से धान की खेती करने वाले किसान झंडा रोग से परेशान थे. इस बीमारी के चलते किसानों की कड़ी मेहनत मिट्टी में तब्दील हो जाती थी.


धान में लगने वाले रोग की पहचान और उसके निस्तारण का जिम्मा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय व केंद्र सरकार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पौधा संरक्षण विभाग को सौंपा था. जिसमें 10 वर्ष पहले यह जिम्मेदारी इस विभाग को सौंपने के बाद महत्वपूर्ण सहयोग सरकार और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के द्वारा पौधा संरक्षण विभाग का किया गया. पौधा संरक्षण विभाग के चेयरमैन डॉक्टर मुजीबुर रहमान के द्वारा उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पहुंचकर अपनी टीम के साथ इस रोग की पहचान के लिए कई शोध किया.


 कई वर्षों तक किया गया शोध
 इसके बारे में कई वर्ष तक एएमयू के पौधा संरक्षण विभाग के चेयरमैन डॉक्टर मुजीबुर रहमान और उनकी टीम के द्वारा सफलता हासिल की. जिसमें उनके द्वारा पता लगाया गया धान के पौधों में जो बीमारी होती है सबसे पहले वह बीमारी बीज से ही शुरू हो जाती है. उसके बाद यह बीमारी जड़ों को कमजोर कर देती है. साथ ही धान के जो पौधे हैं. वह भी पीले पड़ने लग जाते हैं और धान का तना जो है. पेड़ों से ज्यादा लंबा हो जाता है. इस बीमारी में सबसे अहम भूमिका यह है कि यह बीमारी वनस्पति के चावलों में ज्यादा होती है. 


इन धानों में पानी की खपत सबसे ज्यादा होती है. जिसके चलते यह बीमारी सबसे ज्यादा इन्हीं चावलों के पौधों में पहुंचती है. अन्य धान की फसल में भी इस बीमारी के लगने की काफी आशंका इसलिए रहती है कि किसान पहले सहारनपुर मेरठ मुजफ्फरनगर अन्य जगहों पर धान की खेती किया करते थे. जहां पर पानी की खपत अच्छी थी. लेकिन अब किसान अलीगढ़, हाथरस,एटा, मैनपुरी, कासगंज, सहित अन्य जिलों पर धान की फसल की पैदावार कर रहे हैं. जबकि यहां पानी की खपत ठीक नहीं होने के बावजूद ये फसल की जा रही है.


एएमयू के ने लगाया बीमारी का पता
शोध में पता चला है इस बीमारी को अगर खत्म करना है तो सबसे पहले बीज में इस बीमारी की पकड़ सबसे ज्यादा मजबूत होती है. अगर इसे खत्म करना है तो सबसे पहले बीज पर आपको कुछ केमिकल लगाने होंगे. जिससे यह बीमारी जड़ से खत्म हो जाएगी. इस बीमारी को लेकर शोध में बड़ी बात ये सामने आई है. यह बीमारी एक तने से दूसरे तने तक पहुंचती है. फिर यह बीमारी एक खेत से दूसरे खेत व एक गांव से दूसरे गांव में पहुंचती है. इसको खत्म करने के लिए जब आप धान की फसल बोये तो सबसे पहले बीज के ऊपर  बिनोमियल है और कार्बेन्डाजिम केमिकल का प्रयोग करके बीजों पर लगाया जाए.  


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