Aligarh Muslim University: देश भर में शिक्षा जगत में अपनी अलग पहचान रखने वाला अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय हर रोज नई इबारत लिखता हुआ नजर आ रहा है. केंद्रीय विश्वविद्यालयों के इतिहास में यह पहला मामला है, जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के कार्यवाहक कुलपति पति ने अपनी ही पत्नी को कुलपति का कार्यभार ग्रहण कराया.


देश भर में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक ऐसा इकलौता  विश्वविद्यालय है जिसमें उन्होंने अलग- अलग क्षेत्र में तरह-तरह के रिकॉर्ड कायम किये है,एएमयू की स्थापना वर्ष 1920 में हुई थी. 104 साल के इतिहास में पहला ऐसा मौका है, जहां कार्यवाहक कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने अपनी पत्नी प्रो0 नईमा खातून को कुलपति पद की जिम्मेदारी सौंपी है. प्रो. गुलरेज एक तरफ जहां एएमयू के कार्यवाहक कुलपति की जिम्मेदारी संभाले हुए थे,लेकिन अब उनकी पत्नी  वीसी पद पर आसीन होंगीं,नईमा खातून काफी समय से वीमेंस कॉलेज की प्राचार्य के रूप में कार्य कर रहीं थीं. यह मामला इतिहास के पन्नों दर्ज हो गया है.


क्या है नईमा खातून का इतिहास
प्रो नईमा खातून के द्वारा वर्ष 1977 में ओडिशा बोर्ड से हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी. एएमयू के स्कूल से इंटर किया था. यहीं से स्नातक, परास्नातक, एमफिल, पीएचडी की उपाधि ली. वह एएमयू के मनोविज्ञान विभाग में अगस्त 1988 में बतौर व्याख्याता नियुक्त हुई. अप्रैल 1998 से एसोसिएट प्रोफेसर और जुलाई 2006 में प्रोफेसर बनीं. प्रो. नईमा जुलाई 2014 में वीमेंस कॉलेज की प्राचार्य बनीं उन्होंने वीमेंस सेल की परामर्शदात्री, डिप्टी प्रॉक्टर, आरसीए की उप निदेशक, एनएसएस की कार्यक्रम अधिकारी, एसएन हाल और गांधी हाल की वार्डन, अब्दुल्ला हाल, इंदिरा गांधी हात की प्रोबीस्ट, कौशल विकास केंद्र की निदेशक का पद भी संभाला है.


2023 से  वीसी पैनल में इनके नाम की थी चर्चा
 एएमयू के 104 साल के इतिहास में यह दूसरा मौका है. जब कुलपति पैनल में तीसरे स्थान पर रहने वाले को कुलपति बनने का मौका दिया गया है. वर्ष 2002 में कुलपति डॉ.महमूदुर्रहमान दूसरी बार कुलपति पैनल में शामिल हुए थे. बह पहले स्थान पर थे.दूसरे स्थान पर अंग्रेजी विभाग के प्रो. फरहत उल्ला और तीसरे स्थान पर आईएफएस अधिकारी हामिद अंसारी थे. हामिद अंसारी को कुलपति बना दिया गया था. जबकि उनकी आयु 65 साल से ज्यादा थी.


इस बार कुलपति पैनल में पहले स्थान पर प्रो. एमयू रब्बानी, दूसरे स्थान पर प्रो. फैजान मुस्तफा और तीसरे स्थान पर प्रो. नईमा खातून रहीं जिनको अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का नया वीसी बनाया गया है.


29 अप्रैल को होगी उच्च न्यायालय में सुनवाई
भले ही प्रो. नईमा खातून वीसी बन गई है, लेकिन अभी भी कुलपति पैनल का मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, जिसकी सुनवाई 29 अप्रैल को होगी. जामिया मिल्लिया इस्लामिया दिल्ली के सेपद अफजल मुर्तजा रिजवी ने एएमयू के कुलपति पैनल के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी. कुलपति पैनल के मामले में 9 व 16 नवंबर को सुनवाई हुई थी. 6 नवंबर 2023 को एएमयू कोर्ट की बैठक में कुलपति के बनाए गए पैनल में प्रो. रब्बानी, प्रो. फैजान मुस्तफा व प्रो. नईमा खातून के नाम पर मुहर लगाई गई थी.इस मामले में 15 अप्रैल को न्यायालय में सुनवाई हुई, जिसमें प्रो. फैजान मुस्तफा और श्री. नईमा खातून को नोटिस जारी कर 24 घंटे में जवाब तलब किया था. इस मामले में 29 अप्रैल को सुनवाई होगी. 


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