Aligarh Muslim University: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के रेडियोथेरेपी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद अकरम को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा मनुष्य की आंत में पाये जाने वाले सहभागी बैक्टिरिया का कैंसर से संबंध और आंत के कैंसर के इलाज में उनकी भूमिका का अध्ययन करने के लिये 2.25 करोड़ रूपये का अनुदान प्रदान किया गया है.
प्रोफेसर मोहममद अकरम ने बताया कि आंत में आये जाने वाले सहभागी बैक्टिरिया सेहत के लिए बहुत आवश्यक हैं और यह हामें बहुत सी बीमारियों से भी बचाते हैं लेकिन वर्तमान समय में तेजी से बदलती जीवन शैली से यह सहभागी बैक्टिरिया हमारी आंतों में कम हो रहे हैं. प्रोफेसर अकरम ने कहा कि परिणाम स्वरूप उनके स्थान पर रोग पैदा करने वाले बैक्टिरिया हमारी आंतों में कम हो रहे हैं.
"कम होगा रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट"
उन्होंने बताया कि इसको डिस्विओसिस कहते हैं. आंत डिसब्योसिस विभिन्न बीमारियों विशेषकर कैंसर रोग के विकास और प्रगति में एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में हो रहा है. डा अकरम अपने अध्ययन में जिस डिस्बिओसिसि का अध्ययन करेंगे कि इसका आंत के कैंसर से क्या संबंध में और क्या हम लाभ दायक सहभागी बैक्टिरिया को आंत में बढ़ाकर आंत के कैंसर को कम कर सकते हैं तथा रेडीयोथेरेपी कीमियोथेरेपी से होने वाले साइडइफेक्ट को कम कर सकते हैं. प्रो. अकरम ने नवीन चिकित्सीय रणनीतियों को विकसित करने के लिए इस संबंध को समझने के महत्व पर जोर दिया जो रोगी के परिणामों को बढ़ा सकती है.
उन्होंने कहा कि प्रो. सलीम जावेद (जैव रसायन विभाग), प्रो. अफजाल अनीस (सर्जरी विभाग), प्रो. फातिमा खान (माइक्रोबायोलॉजी विभाग), डॉ. रूकैया अफरोज़ (पैथोलॉजी विभाग) और डॉ. हिफज़ुर आर. सिद्दीकी (जूलॉजी विभाग) सहित विविध पृष्ठभूमि के सह-शोधकर्ताओं के सहयोग से परियोजना की अंतःविषय प्रकृति को रेखांकित किया गया है. उनकी सामूहिक विशेषज्ञता आंत डिस्बिओसिस, कैंसर की प्रगति, आणविक तंत्र, नैदानिक हस्तक्षेप, सूक्ष्म जीव विज्ञान, प्रतिरक्षा विज्ञान और कैंसर जीव विज्ञान में बहुआयामी अंतर्दृष्टि प्रदान करेगी. एएमयू कुलपति प्रो. नईमा खातून ने प्रो. अकरम और उनकी टीम के प्रयासों की सराहना की और कैंसर के प्रबंधन में परियोजना की प्रासंगिकता पर जोर दिया.
उन्होंने अन्य विभागों के शिक्षकों को इसी तरह की अनुसंधान पहल और विभिन्न सरकारी एजेंसियों से ऐसी परियोजनाएं प्राप्त करने का प्रयास करने का आग्रह किया. एएमयू रजिस्ट्रार, श्री मोहम्मद इमरान (आईपीएस) ने प्रोफेसर अकरम और उनकी टीम को महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पाने और विश्वविद्यालय में अंतःविषय अनुसंधान शुरू करने के लिए बधाई दी. उन्होंने आंतों के कैंसर में सहयोगात्मक बैक्टिरिया के महत्व को समझने पर भी पर जोर भी दिया.
इक्रोबायोम-कैंसर कनेक्शन पर लिख रहें एक किताब
मेडिसिन संकाय की डीन और जेएन मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल और सीएमएस, प्रोफेसर वीणा माहेश्वरी ने कैंसर अनुसंधान के क्षेत्र में उभरते युवा शोधकर्ताओं और चिकित्सकों के बीच क्षमता और विशेषज्ञता के निर्माण में योगदान पर ज़ोर दिया. प्रोफेसर अकरम ने बताया कि हाल ही में जेएन मेंडिकल कालिज में पूरे भारत से 250 से अधिक विशेषज्ञों के साथ माइक्रोबायोम-कैंसर कनेक्शन की खोज पर एक तीन दिवसीय सम्मेलन और कार्यशाला आयोजित की गई थी. उन्होंने कहा कि वह पिछले दो वर्षों से सिर और गर्दन और पेल्विक कैंसर के रोगियों में प्रोबायोटिक्स अनुपूरण पर केंद्रित एक अन्य आईसीएमआर परियोजना का भी नेतृत्व कर रहे हैं और वह माइक्रोबायोम-कैंसर कनेक्शन पर एक किताब लिख रहे हैं, जो इस साल के अंत तक प्रकाशित हो जाएगी.
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