Aligarh: बकरी पालन से युवाओं को कैसे मिलेगा रोजगार? रिसर्च के लिए AMU के प्रोफेसर को केंद्र से मिला प्रोजेक्ट
UP News: बकरी पालन अमूमन छोटे स्तर पर किया जाता है जिससे रोजगार की संभावना सीमित हो जाती है. रोजगार की संभावना व्यापक बनाने के लिए ही गोट फार्मिंग पर अब रिसर्च कराए जाने की तैयारी है.
Aligarh News: देश में लगातार बकरे-बकरियों की संख्या में भारी गिरावट सामने आ रही है. अब केंद्र सरकार ने बकरी पालन को बड़े उद्योग के रूप में विकसित करने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) के भूगोल विभाग के प्रोफ़सर निजामुद्दीन खान (Nizamuddin Khan) को एक रिसर्च प्रोजेक्ट दिया है जिसमें वह यह पता करेंगे कि बकरी पालन के माध्यम से रोजगार सृजन की कितनी संभावना है. बकरी पालन कर एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर किसान किस प्रकार अपनी अतिरिक्त आय बढ़ा सकते हैं. यह रिसर्च प्रोजेक्ट दो साल के लिए है और केंद्र दिल्ली स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस (Indian Council of Social Science) ने इस रिसर्च के लिए 10 लाख रुपये मंजूर किए हैं.
प्रो. निजामुद्दीन खान ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत यह शोध किया जाएगा कि मौजूदा हालात में किसानों के लिए रोजगार और उनकी इनकम बढ़ाने का क्या जरिया है. देश में हजारों साल से बकरी पालन हो रहा है. यह असल में अभी तक बहुत ही पारंपरिक तरीके से हो रहा है. महिलाएं पाल रही हैं या छोटे किसान पाल रहे हैं और वह भी छोटे पैमाने पर, किसी के पास दो-चार तो किसी के पास 10 बकरियां हैं. यह बहुत ज्यादा वाणिज्यिक स्तर पर नहीं है. इसमें बहुत कम खर्च होता है. इसमें जमीन की बहुत कम जरूरत है और हर कोई इसको बढ़ा सकता है. जिससे आमदनी बढ़ सकती है. इसी बात को रिसर्च करना है कि किस तरीके से किसानों को बताया जाए कि बकरी पालन में उनकी रुचि बढ़े और उनकी आमदनी बढ़े और इसके लिए जो सबसे पहले उसके जो हालात है उसका पता लगाया जाए कि देश में बकरी पालन की क्या स्थिति है और उसको कैसे बढ़ाया जाए.
निजामुद्दीन खान ने बताया कि गांव में नौजवान भी बहुत बेरोजगारी हैं. उनके पास कोई काम नहीं है. वह नया काम ढूंढ रहा है. बहुत से गांव इलाकों में ऐसा हो रहा है. जो गांव में नौजवान पढ़े लिखे हैं वह गवर्नमेंट से लोन लेकर बकरी पालन का काम कर रहे हैं और इससे बहुत फायदा आ रहा है. यहां पर भी इसी बात का पता लगाना है कि किस तरह से बकरी पालन को विकसित किया जाए और खेती के साथ जोड़ दिया जाए क्योंकि बकरियों को जो खिलाना पड़ता है वह अपने ही घर के दाने, घास देने पड़ते हैं. कुछ चारागाह में चरा कर लाते हैं. लेकिन अगर फसल के साथ उनको जोड़ दिया जाएं या छोटे-छोटे फार्म विकसित कर दिया जाएं तो उसी खेती के जरिए उनका पालन हो जाएगा और उनके पालन के जरिए से आमदनी बढ़ जाएगी.
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