AMU में मेडिकल कॉलेज की बड़ी उपलब्धि, मिनिमली इनवेसिव तकनीक का प्रयोग कर की बाईपास सर्जरी
UP News: जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कार्डियोथोरेसिक सर्जन्स की टीम ने पहली बार मिनिमली इनवेसिव तकनीक का उपयोग करके बाईपास सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है.
Aligarh News: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का जेएनएमसी मेडिकल कॉलेज हर रोज नई बुलंदियों को छूता हुआ नजर आ रहा है. दिल की तमाम तरह की सर्जरी करने के बाद अब जेएनएमसी मेडिकल कॉलेज ने एक नई उपलब्धि हासिल की है. इस उपलब्धि के कारण जेएनएमसी मेडिकल कॉलेज को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उस पहले मेडिकल कॉलेज की उपलब्धि मिल चुकी है जिसके द्वारा इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. मेडिकल कॉलेज की इस उपलब्धि के बाद जेएनएमसी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर नई बुलंदियों पर पहुंच गए हैं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कार्डियोथोरेसिक सर्जन्स की टीम ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहली बार मिनिमली इनवेसिव तकनीक का उपयोग करके बाईपास सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है.
कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष, डॉ. मोहम्मद आजम हसीन ने जानकारी देते हुए बताया कि अलीगढ़ निवासी मरीज, सादिक (50) ने सीने में दर्द की शिकायत लेकर कार्डियोलॉजी ओपीडी में प्रोफेसर मलिक मोहम्मद अजहरुद्दीन से परामर्श किया और उनकी सलाह पर एंजियोग्राफी कराई, जिसमें उनके हृदय की वाहिकाओं में रुकावट का पता चला, जिसके लिए उन्हें बाईपास सर्जरी की सलाह दी गई.इसके बाद उन्हें कार्डियोथोरेसिक सर्जनों के पास भेजा गया, जिन्होंने उनकी सर्जरी करने की बात कही तो मरीज के द्वारा सर्जरी कराने का फैसला लिया गया.
कैसे की जाती है हार्ट सर्जरी
सर्जरी को लेकर प्रोफेसर हसीन ने बताया हृदय की सर्जरी सीने की हड्डी को काटकर की जाती है, लेकिन इस मामले में छाती में 8 सेमी चीरा लगाकर सर्जरी की गई और इस तरीके के लाभ में अच्छा कॉस्मेटिक्स, कम दर्द और जल्दी ठीक होना शामिल है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की पीएम आयुष्मान योजना के तहत सर्जरी मुफ्त में कई गई. उन्होंने कहा कि मरीज की हालत में सुधार हुआ है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. उसके शरीर पर कोई निशान नहीं है जिससे मरीज और उसके परिवारजन बहुत खुश हैं.
डॉ. शमायल रब्बानी ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहली बार न्यूनतम इनवेसिव दृष्टिकोण (एमआईसीएस) के माध्यम से बाईपास सर्जरी (सीएबीजी) की गई है, जबकि डॉ. मोहम्मद आमिर ने कहा कि पिछले 3 वर्षों से जेएनएमसी में वाल्व संबंधी सर्जरी के लिए एमआईसीएस का नियमित रूप से उपयोग किया जा रहा है और टीम ने अब तक ऐसे 50 से अधिक मामले अंजाम दिए हैं. मेडिसिन संकाय की डीन और जेएन मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल और सीएमएस, प्रोफेसर वीणा महेश्वरी ने सफल सर्जरी के लिए डॉक्टरों और सहयोगी स्टाफ को बधाई दी.
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