Aligarh News: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) के सुन्नी थियोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और मुस्लिम धर्मगुरु प्रोफेसर मुफ्ती जाहिद अली खान ने हिजाब मामले पर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में नहीं पड़ना चाहिए नहीं तो सिखों की पगड़ी, हिंदु महिलाओं का मंगलसूत्र, बिंदी, ईसाइयों का क्रॉस पर भी पाबंदी लगेगी. प्रोफेसर मुफ्ती जाहिद ने यहां तक कह दिया कि बच्चियां यदि बाहर निकले तो  शृंगार ना करें. अगर बनाव-शृंगार करती हैं तो चेहरा ढकना चाहिए और नहीं करती तो चेहरा खोलने की इजाजत है.


बिना वजह की हो रही सियासत 
प्रोफेसर मुफ्ती जाहिद ने कहा कि हिजाब के मामले में बिना वजह की सियासत की जा रही है और यह सियासत बीजेपी और केंद्र सरकार कर रही है. यह जनता का रुझान और उसकी जो समस्याएं हैं उसको हटाने के लिए कर रही है, यह गलत है. सुप्रीम कोर्ट में जो 2 जज है दोनों की अलग-अलग राय है तो उससे भी यही अंदाजा होता है. लेकिन जहां तक हिजाब का ताल्लुक है मेरी अपील सुप्रीम कोर्ट से है कि उन बच्चियों को जो दाखिले से मरहूम रह गई है उनकी तालीम का फैसला करना चाहिए. पहली दरखास्त मेरी यही है.


बच्चियों को जिस्म ढककर रखना चाहिए 
दूसरी बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट धार्मिक मामले को ज्यादा उस तरह से ना ले. जो बच्चियां हमारी अपने तौर पर हिजाब चाहती हैं किसी तरह से उन पर पाबंदी ना लगाई जाए. वरना सरकार को सिखों के पगड़ी पहनने पर पाबंदी लगानी पड़ेगी, ईसाईयों के क्रॉस लगाने पर पाबंदी लगानी होगी, लड़कियों के मंगलसूत्र पहनने पर पाबंदी लगानी होगी, टीका लगाने पर पाबंदी होगी, बिंदी लगाने पर पाबंदी लगानी पड़ेगी, मांग में सिंदूर लगाने पर पाबंदी होगी, यह सब पाबंदियां लगेंगी ओर लगना चाहिए.


यह सब मजहबी चीजें हैं तो सरकार को लगाने का कोई हक नही होना चाहिए. ना सुप्रीम कोर्ट को इस में पड़ना चाहिए क्योंकि ये धार्मिक मामला है और धार्मिक मामले में सुप्रीम कोर्ट को ज्यादा तकलीफ करने की जरूरत नहीं है. ये फंडामेंटल राइट के खिलाफ नहीं है जो लड़कियां हिजाब पहनना चाहती हैं उनको पूरी आजादी होनी चाहिए. कर्नाटक सरकार का जालिमाना फैसला है उसके बावजूद उन बच्चियों को पढ़ने की इजाजत नहीं होगी. सर ढकने की इजाजत नहीं होगी. यह जालिमाना फैसला है. 


प्रोफेसर मुफ्ती जाहिद अली खान ने आगे कहा कि जहां तक मजहबी मामला है इस मामले में कुछ चीजें फर्ज है, कुछ चीज वाजिब है, कुछ सुन्नत है, कुछ चीजें बेहतर है. नौजवान बच्चियों को खतरा ज्यादा होता है. जो नई-नई लड़कियों पर गुंडे बदमाश आज अस्सी पचासी परसेंट लड़के गुंडे बदमाश बन गए हैं यह अटैक करते हैं और हमारे ख्याल में जो बच्चियां है उनको कोशिश जिस्म ढकने की कोशिश करनी चाहिए. जिसको हम वाजिब भी कह सकते हैं. उस पर अमल करना चाहिए. अगर बनाव श्रृंगार करती है तो चेहरा ढकना चाहिए और बनाव श्रृंगार अगर नहीं करती तो चेहरा खोलने की इजाजत है.


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