Aligarh News: अलीगढ़ के आतिफ तांबे के बर्तन बनाकर चलाते हैं कई परिवार, विदेशों में भी डिमांड
UP News: अलीगढ़ में बरोला मार्केट में इन बर्तनों के बनवाकर बाहर बेचकर दर्जनों परिवारों का पालन पोषण आतिफ उर रहमान कर रहे हैं.यह बर्तन का कारोबार हर दिन लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
Aligarh News: प्राचीन समय में हस्तशिल्प कला से बनाए जाने वाले बर्तन घर-घर में मौजूद हुआ करते थे. इन बर्तनों के कई लाभ हुआ करते थे. यह बर्तन तरह-तरह की कलाओं से बनाए जाते थे. साथ ही इन बर्तनों पर पेंटिंग की तरह कलाकृति दर्शाई जाती थी जिसकी वजह से यह देखने में आलीशान हुआ करते थे. धीरे-धीरे युग बदलते गए आधुनिक युग की शुरुआत हुई तो मशीनों का जमाना आ गया. मशीनों के जमाने में भी आधुनिक युग को सवार कर रखने वाले लोग आज भी इन बर्तनों से खुद के साथ-साथ दर्जनों परिवार चलाने के लिए कार्य कर रहे हैं दर्जनों परिवारों में घर-घर में यह बर्तन तैयार कराए जाते हैं. जिसके बाद इन्हें विदेश में भेजा जाता है.
इन बर्तनों की खास बात यह है यह बर्तन तांबे और पीतल के हुआ करते हैं इन बर्तनों की डिमांड होटल व सरकारी कार्यालय सहित अन्य जगहों पर आज के युग में हो रही है वजह है ताबें और पीतल के बर्तन प्रयोग ।में लाने से स्वास्थ्य में अच्छी खासी स्वास्थ्य वर्धक शक्तियां प्रकट होती है, यानी कि लोग स्वस्थ रहने के लिए इन बर्तनों को भी प्रयोग में ला रहे हैं यही कारण है इन बर्तनों की डिमांड अब हर रोज बढ़ रही है.
दर्जनों परिवार का होता है पालन-पोषण
अलीगढ़ में बरोला मार्केट में इन बर्तनों के बनवाकर बाहर बेचकर दर्जनों परिवारों का पालन पोषण आतिफ उर रहमान कर रहे हैं. आतिफ उर रहमान से जब बातचीत की गई तो उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि, वह लंबे समय से इस कारोबार को कर रहे हैं उनके द्वारा इस कारोबार को चलाने के लिए कई परिवारों से हाथों से यह घरों में बर्तन तैयार कराई जाती है. इसके बाद डिमांड आने पर इन्हें देश के हर कोने के साथ-साथ विदेश में भी भेजा जाता है. यह बर्तन का कारोबार हर दिन लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
उन्होंने कहा कि, इस तरह के बर्तन देखने के साथ-साथ स्वास्थ्य में भी लाभदायक होते हैं यही कारण है अब इन बर्तनों की डिमांड हर रोज बढ़ रही है. वह इस कारोबार से कई सालों से अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. बताया जाता है प्राचीन युग में ठा से ठठेरा जो बात बोली जाती थी इन बर्तनों को ठठेरों के द्वारा तैयार किया जाता था. धीरे-धीरे युग बदलते गए प्राचीन सभ्यताएं बदलती गई और आधुनिक युग की शुरुआत में बर्तनों का भी मशीनों से बनना शुरू हो गया, लेकिन ठठेरा युग के बर्तन आज भी कुछ लोग घरों में बना कर तैयार कर रहे हैं. यही कारण है कि मौजूदा समय में अब इन बर्तनों की डिमांड बढ़ती नजर आ रही है.
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