Aligarh News: अलीगढ़ मैं प्राइमरी शिक्षा का हाल बेहाल है. हालत यह है कि एक ही परिसर में बने तीन कमरों में अलग-अलग तीन विद्यालय संचालित हो रहे हैं. जहां पर एक ही कमरे में एक साथ 1 से लेकर 5 तक के कक्षा के बच्चों की पढ़ाई कराई जाती है. स्थिति यह है कि विद्यालय में जितने छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं, उतने बच्चों के बैठने की जगह भी उस कमरे में उपलब्ध नहीं है. कहीं-कहीं तो एक ही टीचर इन 5 क्लास तक के बच्चों को पढ़ा रही है. ऐसे में इन बच्चों की शिक्षा का स्तर क्या होगा आप खुद ही समझ सकते हैं.
क्या है पूरा मामला?
अलीगढ़ के बेला मार्ग स्थित एक परिसर में बने 3 स्कूलों में पहुंचने में पता चला कि यहां एक छोटे से परिसर में बने तीन कमरे और एक बरामदे में बालक प्राथमिक विद्यालय नंबर 29, बालक प्राथमिक विद्यालय नंबर 44, और कन्या प्राथमिक विद्यालय नंबर 41 संचालित हो रहा है. यानी तीनों स्कूलों के लिए एक एक कमरा अलॉट था. बालक प्राथमिक विद्यालय 29 की प्रिंसिपल नीता ने बताया कि यहां कक्षा 1 से लेकर 5 तक कक्षाएं संचालित होती है.
प्रिंसिपल ने बताया कि एक ही कमरा है जहां तीस बच्चों की बैठने की जगह है, लेकिन बच्चे 48 पंजीकृत हैं. 30 बच्चे अंदर बैठ आते हैं बाकी बच्चों को फर्श बिछाकर रूम के बाहर बिठाते हैं. हम 2 टीचर हैं एक अंदर पढ़ाती है और एक बाहर. यह सब पहली से पांचवी तक के बच्चे हैं. हमें पढ़ाने में संतुष्टि नहीं मिल रही है, एक क्लास के लिए एक कमरा होना चाहिए. जिसमें बच्चों को पढ़ाया जाए. इस कैंपस में तीन स्कूल है. हमने इसको लेकर बात की लेकिन कुछ नहीं हुआ, आश्वासन तो मिलता रहता है.
अभिभावक पूछते हैं तो हम बताते हैं कि सरकार से जब जगह ही नहीं है तो हम क्या करें. हम जितना कोशिश कर सकते हैं उतना करते हैं. जब बच्चे ज्यादा हो जाते हैं तो कुछ बच्चों को क्लास के अंदर और कुछ को क्लास के बाहर फर्श बिछाकर पढ़ाना पड़ता है. वहीं दूसरे स्कूल कन्या पाठशाला नंबर 41 की प्रिंसिपल छुट्टी पर थी, उनके स्थान पर पाठशाला 44 की अध्यापिका दक्ष कुमारी शर्मा पढ़ा रही थी. उन्होंने बताया कि यह कक्षा 1 से लेकर पांचवी क्लास तक के बच्चे हैं और यहां एक ही कमरा है. एक ही कमरे में एक से लेकर पांचवी तक के बच्चे बैठते हैं. यहां पर प्रिंसिपल ही पढ़ाती है, स्टाफ और कमरों दोनों की समस्या है. इस कैंपस में तीन स्कूल चल रहे हैं.
एक कैंपस में चलाए जा रहे तीन स्कूल
इसी के साथ तीसरे कमरे में बालक पाठशाला 44 संचालित हो रहा था. यहां भी यही हाल था. यहां भी एक कमरे में एक से पांच तक कि कक्षाएं संचालित हो रही थी. यहां की प्रिंसिपल प्रीति वर्मा ने बताया कि बालक पाठशाला नंबर 44 स्कूल है. उन्होंने बताया कि कमरों की हमारे यहां कमी है. बच्चों को बैठाने में दिक्कत होती है.हम लोग दोनों क्लास को एडजस्ट करते है.1 क्लास के बच्चों को एक तरफ बिठाते हैं.दूसरे बच्चों को एक साइड में पढ़ाते हैं.एक बार में एक कमरे में दो अध्यापिका पढ़ाती हैं.
अभिभावक रूबी ने कहा कि उनका बच्चा बालक पाठशाला में थर्ड क्लास में है. इस स्कूल में एक ही कमरा है तो बच्चे को पढ़ने में परेशानी तो होती है लेकिन फिर भी पढ़ा रहे हैं कहां ले जाएं समस्या बहुत होती है बच्चे काफी हैं. ऐसा नहीं है कि ये एक अकेला केंपस हो जहां पर तीन स्कूल तीन कमरों में संचालित हो रहे हो.अब हम इस स्कूल से थोड़ी ही दूर एक अन्य परिसर में भी एक ही कैंपस में तीन अलग-अलग स्कूल संचालित हो रहे थे और उसमें भी टोटल चार कमरे थे. इसमें नगर बेसिक कन्या पाठशाला नंबर 22 , बेसिक कन्या पाठशाला नंबर 14 और बेसिक बालक पाठशाला नंबर 39 चल रहा था.
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