अलीगढ़ के नूरपुर में हिन्दुओं के पलायन के चर्चित मामले में सोशल मीडिया पर विवादित ट्वीट के आरोपों में फंसे सैयद नाजिम अली को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सांसद असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की यूथ विंग के प्रदेश अध्यक्ष रहे सैयद नाजिम अली की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.


हाईकोर्ट ने सैयद नाजिम अली की अर्जी पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से चार हफ्ते में जवाब भी मांगा है. अब 29 नवंबर को हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई होगी. यह आदेश जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस नवीन श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने दिया है.


गंगा में बह रहे शवों को लेकर टिप्पणी की गई थी


गौरतलब है कि अलीगढ़ के नूरपुर से हिन्दुओं के पलायन को लेकर बीजेपी के स्थानीय नेता और ओवैसी यूथ ब्रिगेड के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सैयद नाजिम अली के बीच ट्विटर वार शुरु हो गया था. जिसमें सैयद नाजिम अली ने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया. इस वायरल वीडियो में राज्य सरकार पर कोविड संक्रमण के दौरान गंगा में बह रहे शवों को लेकर टिप्पणी की गई थी. वीडियो में कहा गया था कि सरकार को अगर हिन्दुओं की इतनी ही चिंता है, तो उसे उन्नाव जाकर गंगा में बह रहे शवों का दाह-संस्कार करना चाहिए.


बीजेपी नेता श्रवण कुमार यादव ने अली के खिलाफ तहरीर दी


इस मामले में अलीगढ़ के बीजेपी नेता श्रवण कुमार यादव ने एआईएमआईएम यूथ ब्रिगेड के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सैयद नाजिम अली के खिलाफ अलीगढ़ के सिविल लाइन थाने में आईपीसी की धारा 153ए, 295, 505(2) और आईटी एक्ट 66-डी के तहत मुकदमा दर्ज कराया था. याची अधिवक्ता आरिफ इकबाल ने कोर्ट में दलील दी कि याची ने कुछ भी विवादित और आपत्तिजनक नहीं कहा था.


इस मामले में आईटी एक्ट भी नहीं बनता है


उसकी पार्टी विपक्ष में है और सरकार से सवाल करने का उसे पूरा अधिकार है. याची अधिवक्ता ने कहा है कि इस मामले में आईटी एक्ट भी नहीं बनता है और याची के खिलाफ दर्ज मुकदमा अभिब्यक्ति की स्वतन्त्रा का भी हनन है. कोर्ट ने याची अधिवक्ता आरिफ इकबाल और सरकारी वकील की बहस सुनने के बाद गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और याचिका सुनवाई के लिए 29 नवम्बर को पेश करने का आदेश दिया है.


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