Aligarh News: अलीगढ़ के जवां गांव में पहले तेंदुआ आने से ग्रामीण दहशत में आ गए. कई लोगों को तेंदुए ने घायल भी कर दिया था. वन विभाग ने बड़ी मुश्किल से उसपर काबू पाया था. उसी गांव में तेंदुए की हमशक्ल का पशु मिलने के बाद ग्रामीण दहशत में आ गए. कुछ ग्रामीण अपने घरों में कैद हो गए तो कुछ के द्वारा इसकी सूचना वन विभाग को दी मौके पर पहुंची. वन विभाग की टीम के द्वारा रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया गया. चंद घंटे में ही अभियान को चलाकर इस पशु को पिंजरे में कैद कर लिया गया.
इस पशु को देखने के लिए लगातार लोगों का हुजूम लगता हुआ नजर आया. जैसे ही वन विभाग के द्वारा इस पशु को तेंदुआ ना होने की पुष्टि की तो ग्रामीणों में इसे देखने की होड़ सी मच गई. आपको बता दें कि अलीगढ़ के थाना जवां क्षेत्र में पहले एक तेंदुआ निकल आया था. जिसको लेकर आसपास के गांव में भी दहशत का माहौल पैदा हो गया था. तेंदुए की हमशक्ल में पहुंचा यह पशु भी तेंदुए की तरह ही था यही कारण है ग्रामीण कोई लापरवाही नहीं करना चाह रहे थे और उनके द्वारा इसको ही तेंदुआ मान लिया और अपनी जान बचाकर लोग घरों में कैद हुए थे.
बंगाल का राजकीय पशु है फिशिंग कैट
बताया जाता है यह पशु फिशिंग कैट के नाम से जाना जाता है. अलीगढ़ में पकड़ा जाने वाला 'फिशिंग कैट' पश्चिम बंगाल का राज्य पशु है. यह रेड लिस्ट में शामिल है और विलुप्त हो रही दुर्लभ प्रताजि का जीव है. 2016 में फिशिंग कैट को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने रेड लिस्ट में शामिल किया था. रेड लिस्ट में शामिल होने के बाद लगातार इसका संरक्षण किया जा रहा है,उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में इस जीव का मिलना वन विभाग के लिहाज से बड़ी बात है. अधिकारी इस बात का पता लगा रहे हैं कि इस क्षेत्र में यह दुर्लभ प्रजाति की बिल्ली कहां से आई. हालांकि यह विभाग के लिए अच्छे आसार है.
मुख्य रूप से मछली खाती है फिशिंग कैट
अलीगढ़ में मिली दुर्लभ प्रजाति की फिशिंग कैट का मुख्य भोजन मछली होता है. यह मुख्य रूप से मछली ही खाती है. इसके अलावा यह तालाब और नदी में मिलने वाले सरीसृप जीव, कीड़े, मोलस्क, उभयचर जीव, घर में पाले जाने वाले मवेशियों का मांस भी खाती है.'फिशिंग कैट' का आकार सामान्य बिल्ली से काफी बड़ा होता है, इसलिए यह देखने में तेंदुए या चीते जैसी लगती है. इसलिए लोग इसे देखकर डर जाते हैं और तेंदुआ ही समझते हैं. हालांकि इंसानों पर इसके हमला करने के मामले काफी कम होते हैं. विलुप्त प्रजाति होने के कारण वन विभाग इसकी देखरेख करने में जुटा है.
जिला वन अधिकारी दिवाकर कुमार वशिष्ठ ने बताया कि अलीगढ़ में 'फिशिंग कैट' का रेस्क्यू किया गया है. जिले में इस प्रजाति के जीव का मिलना जैव विविधता के लिहाज से काफी अच्छा संकेत है. उन्होंने बताया कि यह रेड लिस्ट में शामिल जीव है. यह जीव पीलीभीत और आगरा के आसपास मिल जाता है कई बार गंगा और नदियों के किनारे भी नजर आते हैं. इसलिए इसका रेस्क्यू करने के बाद अभी इसकी देखरेख की जा रही है. उच्च अधिकारियों से मार्गदर्शन मांगा गया है, उसके निर्देश आने के बाद इसे पूरी सुरक्षा के साथ आगे भेज दिया जाएगा.
कितनी देर तक चलाया गया रेस्क्यू अभियान
अलीगढ़ के जवां क्षेत्र में फिशिंग कैट के मिलने के बाद इसकी सूचना जब वन विभाग को मिली तो वन विभाग की टीम के द्वारा करीब 2 घंटे तक इस अभियान को चलाया गया. रेस्क्यू अभियान को चलाने के बाद में विभाग की टीम के द्वारा फिशिंग कैट को काबू में पाया इसके बाद ग्रामीणों के द्वारा राहत की सांस ली.
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