Aligarh: पुलिस ने AMU के कश्मीरी-नॉर्थ ईस्ट छात्रों का मांगा ब्यौरा, कैम्पस में गरमाया मुद्दा, निजता के हनन के लगे आरोप
अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले कश्मीरी स्टूडेंट्स का कहना है कि पहले भी उनका ब्यौरा मांगा गया है लेकिन वह केवल संस्थान के स्तर तक था, प्रशासन बताए कि इस तरह का डेटा क्यों मांगा जा रहा है.
UP News: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) से पुलिस ने कश्मीरी (Kashmiri Students) और पूर्वोत्तर के छात्रों (North-East Students) का ब्यौरा मांगा है. पुलिस ने इससे संबंधित एक प्रारूप भी भेजा है जिसमें छात्रों को उनका नाम, पिता का नाम, शहर,राज्य, कक्षा मोबाइल नंबर सहित अन्य जानकारी देनी होगी. अलीगढ़ पुलिस के इस पत्र के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के असिस्टेंट कंट्रोलर (एडमिशन) फैसल वारिस ने सभी डीन, फैकल्टी चेयरमैन, प्रिंसिपल, सहित एएमयू से जुड़े तमाम विभागों को चिट्ठी जारी की है. उधर छात्रों ने डेटा दिए जाने को अपनी निजता का हनन बताया है. छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी के पास हमारा पूरा डाटा है तो पुलिस को आखिर डाटा क्यों चाहिए.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद वसीम अली ने बताया, 'अलीगढ़ पुलिस विभाग की तरफ से एक पत्र मिला है. यह पिछले साल भी आया था. मैं फिर रिपीट कर रहा हूं कि एक जनरल इनफार्मेशन होती है, जैसे कि जो जम्मू-कश्मीर के छात्र हैं, उनकी संख्या, नाम, पता, क्लास और कोर्स इत्यादि के कॉलम बने होते हैं. उसी कॉलम के फॉर्मेट पर इंफॉर्मेशन जाती है. केवल जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट ही नहीं अन्य छात्रों के बारे में भी डेटा जुटाया जाता है. यह जानकारी तकरीबन हर साल मांगी जाती है.'
कश्मीरी छात्र प्रशासन से कर रहे यह मांग
डेटा मांगे जाने को एएमयू के छात्रों ने निजता का हनन बताया है. एएमयू में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्र रान्स मकबूल ने बताया कि कश्मीर या अन्य जगह के छात्रों का डेटा लगातार यूनिवर्सिटी के पास रहता है लेकिन प्रशासन को अब क्या जरूरत पड़ गई. हमारी निजता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. अगर इनको डेटा चाहिए तो यह बताया जाए कि क्यों चाहिए, प्रशासन को हमारा डेटा क्यों चाहिए. हम परेशानी में पड़ गए हैं. एक अन्य कश्मीरी छात्र मुसहैब ने बताया कि पहले भी डेटा लिया जाता था लेकिन निजी जानकारी नहीं होती थी. पता और कॉन्टैक्ट नंबर नहीं दिया जाता था. इस बार क्या जरूरत पड़ी कि इस तरह का डेटा लिया जा रहा है. यह स्पष्ट होना चाहिए. बच्चों को पहले बता देना चाहिए कि उस डेटा का कहां इस्तेमाल हो रहा है.
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