UP MLC Election: उत्तर प्रदेश विधान परिषद (Legislative Council Election) के लिए 13 सीटों पर जो चुनाव होने थे, लेकिन वो चुनाव नहीं हुए, क्योंकि 13 सीटों पर 13 ही उम्मीदवारों ने नामांकन किया था और नामांकन पत्रों की जांच के बाद ये सभी 13 नामांकन पत्र वैध पाए गए, जिसके बाद आज 13 जून को 3 बजे नाम वापसी की समय सीमा खत्म होने के बाद सभी का निर्विरोध निर्वाचन हो गया और निर्वाचन अधिकारी ने सभी निर्वाचित सदस्यों को सर्टिफिकेट बांट दिया. इस निर्वाचन के साथ ही विधान परिषद की पूरी तस्वीर बदल गई है. बीते दो दशकों में जहां बीजेपी सबसे मजबूत विधान परिषद में हुई है तो वहीं पहली बार कांग्रेस विधान परिषद में शून्य हो जाएगी. जबकि सपा अपना नेता विरोधी दल बनाएगी या नहीं वो सरकार की कृपा पर निर्भर करेगा. 


विधान परिषद की बदली तस्वीर
विधान परिषद की 13 सीटों पर 13 सदस्यों का निर्विरोध निर्वाचन होने के बाद आज सभी निर्वाचित सदस्यों को जीत का सर्टिफिकेट बांट दिया गया. इन 13 सीटों में 4 सीटों पर समाजवादी पार्टी के सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हुए तो वहीं बीजेपी के 9 सदस्य निर्विरोध चुने गए. इसमें उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र चौधरी समेत सरकार के कुल 7 मंत्री शामिल है. वहीं सपा ने चार सदस्यों में एक स्वामी प्रसाद मौर्य और दो मुस्लिम समाज से हैं. इस निर्विरोध निर्वाचन के बाद अब यूपी विधान परिषद की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है. 100 सदस्यों वाले इस विधान परिषद में बीजेपी अब इतनी ताकतवार हो गई है कि पहले कभी नहीं थी. पहली बार बीते दो दशकों में बीजेपी की विधान परिषद में सदस्य संख्या जो अब तक 66 थी उसमें 9 सदस्य और जुड़ने के बाद अब वो 75 हो गई है. जबकि साल 2022 से पहले सबसे अधिक सदस्य बीजेपी के 2003 में थे. 


समाजवादी पार्टी का गणित गड़बड़ाया


समाजवादी पार्टी के भी आज जीते हुए 4 सदस्यों ने अपना जीत का सर्टिफिकेट लिया, लेकिन विधान परिषद में समाजवादी पार्टी इतनी कमजोर कभी नहीं रही जितनी वह अब होने जा रही है. समाजवादी पार्टी के सदस्यों की संख्या विधान परिषद में घटकर 9 होने जा रही है और ऐसा पहली बार होगा विधान परिषद में नेता विरोधी दल का पद भी सरकार की कृपा पर निर्भर करेगा. क्योंकि नेता विरोधी दल के लिए सदन के कुल सदस्यों का 10 फीसदी होना आवश्यक होता है और के सदस्यों की संख्या घटकर 9 रह जाएगी. ऐसे में सरकार चाहेगी तभी सपा अपना नेता विपक्ष विधान परिषद में बना पाएगी. बीते दो दशकों के आंकड़ों को अगर देखें तो सपा की जो न्यूनतम संख्या विधानपरिषद में रही है वो 16 रही है. 


कांग्रेस शून्य पर और बसपा का एक सदस्य
जीत का सर्टिफिकेट लेने वाले सदस्य 7 जुलाई से विधान परिषद ऑफिस ज्वाइन करेंगे. ऐसे में 6 जुलाई तक तो कांग्रेस की विधान परिषद में सदस्य संख्या 1 रहेगी, लेकिन 7 जुलाई के बाद कांग्रेस विधान परिषद में शून्य हो जाएगी जो कि पहली बार होगा जब कांग्रेस इस विधान परिषद में शून्य की स्थिति में पहुंच जाएगी. वहीं अगर बहुजन समाज पार्टी की बात करें तो 6 जुलाई के बाद बहुजन समाज पार्टी भी विधान परिषद में सिर्फ एक पर आ जाएगी यानी विधानसभा में भी बहुजन समाज पार्टी का एक सदस्य और विधान परिषद में भी बसपा का एक ही सदस्य रह जाएगा. 


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विधान परिषद में फरवरी 2023 में भी 5 सीटें खाली होने जा रही है जो शिक्षक स्नातक क्षेत्र की होंगी. इनमें बीजेपी के 2 सदस्य हैं और बीजेपी कोशिश करेगी कि ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की जाए. मई 2024 में विधान परिषद की 13 सीटें खाली होगी जिस पर चुनाव होंगे. 13 में से लगभग 9 सदस्य बीजेपी के होंगे पार्टी की कोशिश ये रहेगी उस वक्त भी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल कर विधान परिषद में एकतरफ़ा अपना दबदबा बरकरार रखा जाए. 


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