हरिद्वार में बंद होंगे सभी स्लॉटर हाउस, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जारी किए निर्देश
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर हरिद्वार में सभी बूचड़खाने बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि हरिद्वार में बूचड़खानों का कोई औचित्य नहीं है.
हरिद्वार: उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार जिले में सभी बूचड़खाने (स्लॉटर हाउस) बंद करने का गुरुवार को आदेश दिया. राज्य के सचिव, शैलेश बगोली ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर हरिद्वार में सभी बूचड़खाने बंद करने के आदेश जारी कर दिए. प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज की अगुवाई में हरिद्वार के क्षेत्रीय विधायकों ने मुख्यमंत्री रावत को एक मार्च को एक पत्र सौंपा था जिसमें उन्होंने हरिद्वार जिले में बूचड़खानों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की थी.
महाराज का कहना था कि हरिद्वार में बूचड़खाने होने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि हरिद्वार देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी है और यहां बूचड़खानों का कोई औचित्य नहीं है.
जूना अखाड़े सहित अन्य अखाड़ों की निकली भव्य पेशवाई
बता दें कि कल ही हरिद्वार कुंभ में पंच दशनाम जूना अखाड़ा, अग्नि और किन्नर अखाड़ों की भव्य पेशवाई निकली. कुंभनगरी के विभिन्न बाजारों से गुजरे साधु संतों का लोगों ने भव्य स्वागत किया. ज्वालापुर पांडे वाली से सिद्ध पीठ माया देवी प्रांगण तक पेशवाई पर जगह-जगह हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पुष्प वर्षा की और संतों, अखाड़ों के महामंडलेश्वरों और नागा साधुओं का जबरदस्त स्वागत किया.
जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद महाराज की अगुवाई में देर शाम निकली पेशवाई में हाथी, घोड़ों और ऊंट पर सवार साधुओं की छटा और नागा साधुओं के करतब जनता के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे जबकि बैंड बाजों, वाद्य यंत्रों और ढोल नगाड़ों की गूंज से वातावरण और भी मोहक हो गया था.
किन्नर अखाड़े ने भी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा. ऊंटो पर सवार किन्नर संतों की छटा निराली रही जिसे देखने के लिए मार्गों पर दोनों ओर भारी भीड़ जुटी रही. जिलाधिकारी सी रविशंकर, मेला अधिकारी दीपक रावत सहित वरिष्ठ अधिकारियों और क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों ने नगर भ्रमण पर निकली अखाड़ों की संत टोली का स्वागत किया. बुधवार को पहले दिन निरंजनी और आनंद अखाड़ों की पेशवाई के साथ हरिद्वार कुंभ में पेशवाई निकलने का सिलसिला शुरू हुआ था.
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