Prayagraj News: इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) पुलिस व्यवस्था को जवाब देह बनाने के लिए यूपी सरकार (UP Government) को निर्देश दिए दिए हैं. शुक्रवार को एक मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को पुलिस विभाग (Police Department) के भीतर जवाबदेही की एक प्रभावी प्रणाली के लिए नियम बनाने पर विचार करने को कहा है, ताकि समय बद्ध तरीके से काम हो सके. हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी हत्या के मामले जेल में बंद शख्स की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कही.
न्यायमूर्ति अजय भनोट ने शुक्रवार को हत्या के एक मामले में आरोपी भंवर सिंह नाम के एक व्यक्ति की जमानत की अर्जी स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया. याचिकाकर्ता भंवर सिंह इस मामले में साल 2014 से ही जेल में बंद है. सुनवाई के दौरान अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि, ‘‘निचली अदालतों द्वारा भेजी गई स्थिति रिपोर्ट से पता चलता है कि पुलिस अधिकारियों ने समन की तामील समय पर नहीं की, जिससे सुनवाई में देरी हुई.
पुलिस के रवैये पर लगाई फटकार
कोर्ट ने कहा, चूंकि पुलिस अधिकारियों ने समन की तामील नहीं की और समयबद्ध तरीके से तय तिथि पर गवाहों की पेशी नहीं कराई, इसलिए सुनवाई में विलंब होता रहा.’’ समन पहुंचाने में राज्य पुलिस की असमर्थता पर अदालत ने कहा, ‘‘यह एक स्थानिक समस्या है और आपराधिक कानूनी प्रक्रिया में एक बड़ी अड़चन है. इससे लोगों का न्याय तंत्र में भरोसा घटता है. इसलिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इन सब जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं.’’
हाई कोर्ट ने त्वरित सुनवाई के महत्व पर कहा, ‘‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित सुनवाई के आरोपी के अधिकार का हनन किया जा रहा है और पुलिस विभाग की इन विफलताओं के परिणाम स्वरूप जमानत का अधिकार बाधित किया जा रहा है. इससे न्यायिक प्रक्रिया में देरी होती है.’’