मदरसों को सरकारी मदद दिए जाने पर HC ने उठाए सवाल, यूपी सरकार से पूछा- किस अधिकार के तहत दिया जा रहा अनुदान
सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते की मोहलत दी गई है. अदालत मदरसा अंजुमन ए इस्लामिया फैजुल उलूम द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
Allahabad High Court on Madarsas: धर्म विशेष का प्रचार-प्रसार करने और धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसों (Madarsas) को सरकारी मदद मुहैया कराए जाने पर मचे घमासान के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने भी इसे लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. हाईकोर्ट ने मदरसों को मिलने वाले सरकारी अनुदान के साथ ही यहां होने वाले भेदभाव समेत छह बिंदुओं पर सवाल उठाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार (UP govt) से कई बिंदुओं पर जवाब तलब कर लिया है. अदालत ने यूपी सरकार से यह बताने को कहा है कि धर्म विशेष की शिक्षा देने वाले मदरसों को किस क़ानून या अधिकार के तहत सरकारी मदद मुहैया कराई जा रही है. क्या सरकार को मदरसों को आर्थिक मदद मुहैया कराए जाने का कोई कानूनी अधिकार है. क्या जनता द्वारा चुनी हुई सेक्युलर सरकार किसी धर्म विशेष के केंद्र को आर्थिक मदद देकर उसे संचालित करा सकती है. सरकार किस अधिकार से इन मदरसों का खर्च उठाती है.
अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि मुसलमानों के अलावा दूसरे अल्पसंख्यक धार्मिक शिक्षण संस्थानों को भी इसी तरह की आर्थिक मदद दी जाती है या नहीं. क्या मदरसों में लड़कियों के प्रवेश पर पाबंदी होती है. अगर महिला वर्ग को मदरसों में प्रवेश नहीं दिया जाता तो क्या फैसला देश के संविधान के खिलाफ और विभेदकारी नहीं है. सरकार को यह भी बताना होगा कि जब सभी शिक्षण संस्थाओं में खेल के मैदान का होना बेहद ज़रूरी रखने का नियम है तो मदरसों में इस नियम का पालन क्यों नहीं किया जाता.
सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते की मोहलत दी गई है
हाईकोर्ट ने सरकारी मदद समेत छह बिंदुओं पर यूपी सरकार से जवाब मांगा है. सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते की मोहलत दी गई है. अदालत इस मामले में छह अक्टूबर को फिर से सुनवाई करेगी. अदालत ने सुनवाई के दौरान यह भी टिप्पणी की है कि मदरसों को सरकारी मदद दिए जाने के विवाद में कई बिंदुओं को अब वह खुद ही तय करेगी. मामले की सुनवाई जस्टिस अजय भनोट की सिंगल बेंच में हुई. अदालत मदरसा अंजुमन ए इस्लामिया फैजुल उलूम द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
मदरसे की प्रबंध समिति ने कुछ अतिरिक्त पदों पर भर्ती के लिए सरकार से अनुमति मांगी थी. सरकार ने अनुमति खारिज कर दी तो उस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने छह बिंदुओं पर सरकार से जवाब मांगा. अदालत ने यह भी पूछा है कि क्या मदरसों में दूसरे धर्मों की भी शिक्षा दी जाती है या नहीं. क्या यहां पर संविधान का पूरी तरह पालन होता है या नहीं.
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