अयोध्या के बाद काशी से शुरु हुआ धर्मिक सियासत का नया अध्याय मथुरा होते हुए ताजनगरी आगरा (Agra) पहुंच चुका है. ताज महल (Taj Mahal) के 22 रहस्यमयी दरवाजों को खोलने की मांग वाली याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में आज सुनवाई होनी है.याचिका में मांग की गई हैं कि ताजमहल के बंद कमरों की वीडियोग्राफी कराई जाए. कमेटी बनाकर बंद कमरों में देवी-देवताओं से जुड़े साक्ष्य तलाशे जाएं और दशकों से तहखाने में बंद 22 दरवाजों को खोला जाए. दरअसल ताजमहल के बंद कमरों में मंदिर के सबूत का दावा किया गया है.


याचिका में क्या की गई है मांग?


याचिका में 1951 और 1958 में बने कानूनों को संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध घोषित किए जाने की भी मांग की गई है.. इन्हीं कानूनों के तहत ताजमहल, फतेहपुर सीकरी का किला और आगरा के लाल किले आदि इमारतों को ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया था.इसमें केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण तथा राज्य सरकार को विपक्षी पक्षकार बनाया गया है..याचिका में यह भी दावा किया गया है कि माना जाता है कि ताजमहल के बंद दरवाजों के भीतर भगवान शिव का मंदिर है.


आचार्य परमहंस भी ताज महल को तेजो महल बता चुके हैं


इससे पहले धर्मगुरु आचार्य परमहंस भी ताज महल को तेजो महल बता चुके हैं. कुछ दिन पहले वो इसकी पड़ताल के लिए खुद ताज महल पहुंचे थे हालांकि उन्हें ताज महल में जाने नहीं दिया गया. फिलहाल हिंदुस्तान के ताज पर अब सियासत की आंच आ चुकी है. ऐसे में ताज की चमक बरकरार रहती है या फिर 22 दरवाजों के रहस्य से पर्दा उठाने का रास्ता खुलता है, इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा.


गौरतलब है कि याचिका में अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस के वहां जाने और उन्हें उनके भगवा वस्त्रों के कारण रोके जाने संबंधी हालिया विवाद का भी जिक्र किया गया है. यह याचिका अयोध्या निवासी डॉक्टर रजनीश सिंह ने अपने वकीलों राम प्रकाश शुक्ला और रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से दायर की है.


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