(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
यूपी में DJ बजाने पर पाबंदी, हो सकती है पांच साल की कैद ; भरना पड़ेगा एक लाख का जुर्माना
यूपी में डीजे बजाने पर पाबंदी लगा दी गई है। ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये रोक लगाई है। इसके तहत नियम तोड़ने वालोंं को पांच साल की कैद की सजा हो सकती है। साथ ही, भरना पड़ सकता है एक लाख जुर्माना।
प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए समूचे यूपी में डीजे बजाए जाने पर पाबंदी लगा दी है। अदालत ने सूबे में जिलाधिकारियों व मजिस्ट्रेटों द्वारा डीजे बजाने की मंजूरी दिए जाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है और यूपी सरकार से इस पर सख्ती से अमल करने को कहा है। इतना ही नहीं, अदालत ने सख्त रवैया अपनाते हुए यूपी सरकार से डीजे बजाने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने व पांच साल तक की कैद की सजा का नियम बनाने का भी आदेश दिया है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि डीजे बजने पर संबंधित थाना प्रभारियों की जवाबदेही होगी। इस बारे में शिकायत करने वालों की पहचान सार्वजनिक नहीं की जाएगी। इतना ही नहीं, ईमेल और वाट्सऐप के साथ ही मोबाइल पर भेजे गए एसएमएस के जरिये भी शिकायत की जा सकेगी। अदालत ने ध्वनि प्रदूषण की शिकायत के लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी करने को कहा है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस आदेश का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ अदालत की अवमानना का केस चलाया जाएगा। अदालत ने माना है कि कई एम्पलीफायर व साउंड बॉक्स होने की वजह से डीजे बजने पर ध्वनि प्रदूषण के मानकों का पालन नहीं हो सकेगा। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इसी आधार पर डीजे बजाए जाने और इसकी मंजूरी दिए जाने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है।
अदालत के फैसले के मुताबिक, त्योहारों पर लाउडस्पीकर भी सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार ही बजेंगे और जिलों के डीएम व पुलिस कप्तान इस पर निगरानी रखेंगे। कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि डीजे बजने से बच्चों-बुजुर्गों व हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और यह सभी इंसानों की सेहत के लिए खतरे का सबब बनता है। अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि ध्वनि प्रदूषण होने से नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन होता है। कोर्ट ने यूपी के सभी डीएम को डीजे पर पाबंदी समेत ध्वनि प्रदूषण रोकने व दोषियों की धर-पकड़कर उनके खिलाफ कार्रवाई किये जाने के लिए डिस्ट्रिक्ट लेवल पर टीमें गठित किये जाने का भी आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पी के एस बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की डिवीजन बेंच ने प्रयागराज के हाशिमपुर इलाके में रहने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील सुशील चन्द्र श्रीवास्तव व अन्य की अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया है। कोर्ट ने कहा है कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून का उल्लंघन नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन होगा, इसलिए सभी धार्मिक त्योहारों से पहले जिलाधिकारी व पुलिस कप्तान बैठक कर कानून का पालन सुनिश्चित कराए। कोर्ट ने कहा है कि कानून का उल्लंघन करने पर पांच साल तक की कैद व एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून के तहत अपराध की एफआईआर दर्ज की जाए। कानून का पालन कराने की जिम्मेदारी सभी संबंधित थाना प्रभारियों की होगी। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह प्रदेश के सभी शहरी एरिया को औद्योगिक, व्यवसायिक-रिहायशी या साइलेन्स जोन के रूप में श्रेणीबद्ध करें।
कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को ध्वनि प्रदूषण की शिकायत सुनने के अधिकारी से सम्पर्क फोन नम्बर सहित पूरा ब्यौरा सार्वजनिक स्थलों पर सूचना बोर्डों में देने को कहा है। इसके अलावा शिकायत करने के लिए टोल फ्री नम्बर शुरू किये जाने को भी कहा है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति ध्वनि प्रदूषण की शिकायत कर सकता है। हर शिकायत रजिस्टर पर दर्ज की जाए और साथ ही कार्रवाई का ब्यौरा भी रखा जाए। कोर्ट ने कहा है कि शिकायत दर्ज होते ही पुलिस मौके पर जाकर ध्वनि प्रदूषण बन्द कराए और सक्षम अधिकारी को रिपोर्ट करे। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाए।
कोर्ट ने कहा है कि शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखा जाए, अनाम शिकायत भी दर्ज हो। एसएमएस, वाट्सऐप, ई मेल आदि माध्यमों से या फोन से मौखिक मिली शिकायत दर्ज की जाए और सम्बन्धित अधिकारी को सूचित किया जाए। कोर्ट ने कहा है कि आदेश की अवहेलना होने पर कोई भी व्यक्ति कोर्ट में अवमानना याचिका भी दायर कर सकता है। कोर्ट ने कहा है कि कार्रवाई न करने के लिए सम्बन्धित थाना प्रभारी जवाबदेह माने जाएंगे। कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को सभी अधिकारियों को आदेश का पालन करने का निर्देश जारी करने को भी कहा है।
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