प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसी साल फरवरी महीने में यूपी पुलिस में हुई दो हज़ार से ज़्यादा दरोगाओं की भर्ती की सेलेक्शन लिस्ट को रद कर दिया है। हाईकोर्ट ने फाइनल लिस्ट में सेलेक्ट हुए दरोगाओं की ट्रेनिंग को भी ख़त्म किये जाने के आदेश दिए हैं। अदालत ने माना है कि रिजल्ट मनमाने तरीके से तैयार किया गया और इसमें नियमों की अनदेखी की गई है।


हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने पूरे रिजल्ट को नये सिरे से घोषित किये जाने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के इस सख्त आदेश से ट्रेनिंग कर रहे तकरीबन बाइस सौ दरोगाओं के साथ ही यूपी सरकार को भी बड़ा झटका लगा है। अदालत ने यूपी सरकार व भर्ती करने वाले पुलिस भर्ती व प्रमोशन बोर्ड के खिलाफ तल्ख़ टिप्पणी भी की है। इस बारे में सौ से ज़्यादा असफल अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर भर्ती प्रक्रिया को रद किये जाने की मांग की थी। अदालत ने भर्ती प्रक्रिया में अपनाई नार्मलाइजेशन प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए उसे गलत व मनमाना करार दिया है।



गौरतलब है कि यूपी पुलिस में दरोगाओं के 2707 पदों पर भर्ती के लिए जून 2016 में विज्ञापन निकाला गया। भर्ती प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी होनी थी। सबसे पहले चार विषयों में ऑनलाइन लिखित परीक्षा होनी थी। इसमें सभी विषयों में कम से कम पचास फीसदी नंबर पाने वालों को ही अगले राउंड फिजिकल टेस्ट व फिजिकल स्टैंडर्ड टेस्ट में शामिल होना था।


इस साल 28 फरवरी को जारी किये नतीजों में 2707 पदों पर होने वाली भर्ती के लिए सिर्फ 2187 लोगों के ही नाम दिए गए। बाकी बचे पदों के लिए बताया गया कि फाइनल राउंड में आने वाले अभ्यर्थी नार्मलाइजेशन प्रक्रिया में बाहर हो गए। तमाम अभ्यर्थियों को बताया गया कि वह लिखित परीक्षा में फेल हो गए, इसलिए अंतिम सूची में उनका नाम नहीं डाला गया। नार्मलाइजेशन में क्या प्रक्रिया अपनाई गई उसे भी न तो सार्वजनिक किया गया और न ही उसका जिक्र विज्ञापन में कहीं था। पद पांच सौ से ज़्यादा पद खाली होने के बावजूद बाकी बचे अभ्यर्थियों के नाम पर विचार नहीं किया गया।



सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई डे टू डे बेसिस पर हुई। जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस सुनीत कुमार की डिवीजन बेंच ने आज दिए गए अपने फैसले में सेलेक्शन लिस्ट को रद्द कर दिया और चयनित हुए तकरीबन बाइस सौ दरोगाओं की ट्रेनिंग प्रक्रिया भी ख़त्म किये जाने के आदेश दिए। अदालत ने फिजिकल के दोनों टेस्ट में पास होने वाले अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा की मेरिट के आधार पर चुनने का सुझाव दिया है।