Allahabad High Court: कॉलेजियम ने इलाहाबाद HC में नौ स्थायी न्यायाधीशों के लिए नामों की सिफारिश की
CJI से कॉलेजियम के तहत मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के 9 अतिरिक्त न्यायाधीशों को नियुक्त करने की सिफारिश की गई है. इसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई भी शामिल थे.
Allahabad High Court: उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के नौ अतिरिक्त न्यायाधीशों के नामों की स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए मंगलवार को सिफारिश की. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कॉलेजियम ने मंगलवार को हुई बैठक में इन नामों की सिफारिश की. कॉलेजियम में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई भी शामिल थे.
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘कॉलेजियम यह सिफारिश करता है कि अतिरिक्त न्यायाधीशों - न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी, न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम, न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला, न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र, न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार, न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल को मौजूदा रिक्तियों के अनुसार इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए.’’
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इनके नाम की भी हुई सिफारिश
इसके अलावा, तीन सदस्यीय कॉलेजियम ने गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए अधिवक्ताओं- संजीव जयेंद्र ठाकर, डी एन रे, और मौलिक जितेंद्र शेलत के नामों की भी सिफारिश की. इससे पहले बीते महीने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कलकत्ता हाईकोर्ट के नौ अतिरिक्त न्यायाधीशों (एडिशनल जजों) के कार्यकाल की अवधि एक साल बढ़ाने की सिफारिश की थी.
इस साल अप्रैल में, कलकत्ता हाईकोर्ट के कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से जस्टिस बिस्वरूप चौधरी, जस्टिस पार्थ सारथी सेन, जस्टिस प्रसेनजीत बिस्वास, जस्टिस उदय कुमार, जस्टिस अजय कुमार गुप्ता, जस्टिस सुप्रतिम भट्टाचार्य, जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी, जस्टिस अपूर्व सिन्हा रे और जस्टिस मोहम्मद शब्बर राशिदी को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश भेजी थी.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कहा था कि उसने कलकत्ता हाईकोर्ट के मामलों से परिचित सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीशों से उनकी उपयुक्तता का पता लगाने के लिए परामर्श किया था. साथ ही कहा कि मुख्य न्यायाधीश की ओर से गठित सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों (जजों) की समिति ने इन अतिरिक्त न्यायाधीशों के फैसलों का मूल्यांकन किया.