(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Allahabad High Court का फैसला, कहा- 'तलाक नहीं होने पर पहली पत्नी को ही पेंशन लाभ पाने का अधिकार'
UP News: Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नी ही पति की मौत के बाद पारिवारिक पेंशन आदि पाने की हकदार है. पहली पत्नी को ही ये अधिकार होगा.
Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने पति और पत्नी से जुड़े एक विवाद में अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि तलाक नहीं होने पर पहली पत्नी को ही पेंशन लाभ पाने का अधिकार होगा. अदालत ने कहा कि गुजारा भत्ते पर समझौता होने से यह नहीं कह सकते कि पत्नी ने पति की मौत के बाद सेवानिवृत्ति परिलाभों का दावा छोड़ दिया है.
हाईकोर्ट ने कहा है कि पति से अलग रहने के बावजूद सेवा पंजिका में पहली पत्नी नामित है. दोनों के बीच तलाक न होने के कारण वह पत्नी है. कानूनन मृतक कर्मचारी के सेवा परिलाभ वारिस को पाने का हक है. इसलिए पत्नी ही पति की मौत के बाद पारिवारिक पेंशन आदि पाने की हकदार है. कोर्ट ने स्वयं को पत्नी की तरह साथ रहने वाली याची को राहत देने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है.
क्या है विवाद?
इलाहाबाद हाईकोर्ट से याची रजनी रानी का कहना था कि उसके पति भोजराज 30 जून 2021 को सेवानिवृत्त हुए थे. सेवानिवृत्त के बाद 2 अक्टूबर को उनकी मौत हो गई थी. वह मैनपुरी के सुल्तानगंज में महाराजा तेज सिंह जूनियर हाईस्कूल औरंध के सहायक अध्यापक थे. याची का कहना था कि लंबे समय से वह पत्नी के रूप में साथ रहती थी. पहली पत्नी बहुत पहले घर छोड़ कर चली गई थी.
याची यानी दूसरी पत्नी ने धारा 125 गुजारा भत्ते का दावा किया था, जिस पर समझौता हो गया. पहली पत्नी ने उसके बाद गुजारे का कोई दावा नहीं किया है. इस प्रकार उसने पति के सेवानिवृति परिलाभों पर अपना दावा छोड़ दिया था. कोर्ट ने इस तर्क को सही नहीं माना है. अदालत ने कहा है कि कहा कि पत्नी को पति के सेवानिवृति परिलाभ पाने का अधिकार है. याची को लाभ देने से इंकार करने का आदेश सही है और याचिका खारिज कर दी. इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की सिंगल बेंच ने आदेश जारी किया है.