Gyanvapi Survey: ज्ञानवापी सर्वे मामले में आज आएगा इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला, मुस्लिम पक्ष ने दी है चुनौती
Allahabad High Court: ज्ञानवापी के सर्वे कराए जाने के जिला अदालत के फैसले के खिलाफ चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच ने सुनवाई पूरी होने के बाद 27 जुलाई को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था
Gyanvapi ASI Survey: ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे को लेकर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट अपना फैसला सुना सकता है. मस्जिद कमेटी ने जिला अदालत के परिसर के एएसआई सर्वे कराए जाने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर आज कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है. आज दोपहर दो बजे चीफ जस्टिस कोर्ट से फैसला सुनाए जाने की उम्मीद है. ये मामला जजमेंट के लिए सीरियल नंबर 3001 पर लगा हुआ है. इस मामले में दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें कोर्ट में पेश कर दी है.
ज्ञानवापी के सर्वे कराए जाने के जिला अदालत के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने 21 जुलाई को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिस पर चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच ने सुनवाई पूरी होने के बाद 27 जुलाई को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था और आदेश आने तक ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे पर भी रोक लगा दी थी. सुनवाई के दौरान आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने हलफनामा दिया था कि सर्वे से ज्ञानवापी परिसर को कोई नुकसान नहीं होगा.
मुस्लिम पक्ष ने जताई ये आपत्ति
ज्ञानवापी मामले में हाईकोर्ट में दोनों पक्षों की तरफ से दलीले पेश की जा चुकी है. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि ASI ने इस मामले में इतनी तेजी क्यों दिखाई? जिला जज के आदेश के कुछ घंटे बाद ही ASI की टीम वाराणसी पहुंच गई. उन्होंने कहा कि सर्वे से ज्ञानवापी के मूल स्वरूप को नुकसान हो सकता है? SC ने निचली अदालत को कहा था कि मुकदमा सुनने लायक है अथवा नहीं? इससे आगे बढ़कर सर्वे कराने का फैसला दे दिया गया. 1991 के प्लेसेस आफ वरशिप एक्ट के तहत केस सुनवाई लायक है ही नहीं. निचली अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसला दिया है.
हिंदू पक्ष की दलील
हिन्दू पक्ष का कहना है कि राम जन्म भूमि में भी ऐसा सर्वे हुआ था, पर वहां कोई नुकसान किसी तरह का नही हुआ. मुस्लिम पक्ष सर्वे से क्यों डर रहा है, सच्चाई सामने आने क्यों नहीं देना चाहता? एएसआई सर्वे होने से सच्चाई सामने आ जाएगी. ASI ने भी सर्वे को लेकर न सिर्फ सहमति दी है, बल्कि यह भी साफ किया है कि इससे ढांचे को कोई नुकसान नहीं होगा.
आपको बता दें कि हिंदू पक्ष का कहना है कि विवादित जगह पहले मंदिर था. औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. विवादित परिसर में आज भी हिंदू धर्म के प्रतीक चिन्ह मौजूद हैं. एडवोकेट कमीशन की रिपोर्ट में यह सामने भी आया है.
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