प्रयागराज. लव जिहाद अध्यादेश पर यूपी की योगी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट ने इस अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने योगी सरकार से 4 जनवरी तक विस्तृत जवाब मांगा है. इसके बाद याचिकाकर्ताओं को 6 तारीक को हलफनामा दाखिल करना होगा. मामले में अंतिम सुनवाई 7 जनवरी को होगी. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली डिविजन बेंच में हुई थी.
अध्यादेश के खिलाफ चार अर्जियां
लव जिहाद अध्यादेश के खिलाफ चार अलग-अलग अर्जियां दायर की गई थी. इन अर्जियों में सरकार पर राजनीतिक फायदा लेने का आरोप लगाया गया है. याचिकाकर्ताओं ने ये भी मांग की थी कि अब तक लव जिहाद कानून के तहत जितने भी केस दर्ज हुए हैं, उनमें आरोपियों को गिरफ्तार ना किया जाए. हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की इस मांग को भी खारिज कर दिया.
सरकार ने रखा अपना पक्ष
वहीं, सरकार ने सुनवाई के दौरान अपना पक्ष भी रखा. सरकार ने बताया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अध्यादेश जरूरी हो गया है. सरकार की तरफ से कहा गया, "यूपी में धर्मांतरण के बढ़ते मामलों के बाद कानून-व्यवस्था बिगड़ रही थी. इसीलिए ये अद्यादेश लाया गया."
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाया गया है. प्रदेश सरकार ने 24 नवंबर को विवाह की खातिर जबरन या झूठ बोलने के धर्म परिवर्तन के मामलों से निबटने के लिये यह अध्यादेश मंजूर किया था जिसके अंतर्गत दोषी व्यक्ति को 10 साल तक की कैद हो सकती है. प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 नवंबर को इस अध्यादेश को मंजूरी दी थी.
इस अध्यादेश के तहत महिला का सिर्फ विवाह के लिये ही धर्म परिवर्तन के मामले में विवाह को शून्य घोषित कर दिया जायेगा और जो विवाह के बाद धर्म परिवर्तन करना चाहते हैं उन्हें इसके लिये जिलाधिकारी के यहां आवेदन करना होगा. आवेदन मिलने पर पुलिस जांच-पड़ताल करेगी कि कहीं यह धर्म परिवर्तन जबरदस्ती, धोखे से या लालच में तो नहीं करवाया जा रहा है. जांच में ऐसी शिकायत नहीं मिलने पर प्रशासन धर्म परिवर्तन की अनुमति देगा. फिर इसकी जानकारी प्रशासन को देनी होगी.
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