प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में मास्क लगाने के नियम का अनुपालन नहीं किए जाने पर नाखुशी जाहिर की है. कोर्ट ने निर्देश दिया है कि एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी इस अदालत को सूचित करे कि एक मार्च 2021 को पारित आदेश में दिए गए निर्देश को लागू करने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं. एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने एक मार्च, 2021 को निर्देश दिया था कि शत प्रतिशत लोग मास्क लगाएं.


इन निर्देशों में अदालत ने यह स्पष्ट किया था कि मास्क नहीं लगाने पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए. इसके अलावा, भीड़भाड़ को तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए. शादी-ब्याह और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में अतिथियों की संख्या सीमित की जानी चाहिए और इसका किसी भी तरह से उल्लंघन होने पर सख्ती से दंड दिया जाना चाहिए. उपरोक्त के अलावा, अदालत ने निर्देश दिया था कि ऐसे स्कूल जहां छोटे बच्चे जाते हैं, उन स्कूलों को भौतिक कक्षाएं शुरू नहीं करने की हिदायत दी जानी चाहिए. हालांकि यदि किसी कारण से स्कूल भौतिक रूप से चल रहे हैं तो राज्य सरकार द्वारा जारी सभी दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए.


अगली सुनवाई की तारीख 26 मार्च


अदालत ने निर्देश दिया था कि खान पान के प्रतिष्ठान यह देखें कि खुले में खाना नहीं परोसा जाए और लोग पैकेट में खाना लें और अपने घर पर उसे खाएं. रेस्तरां के भीतर टेबल इस तरह से लगाई जाएं जिससे सामाजिक दूरी का उचित ढंग से पालन हो सके. गत सोमवार को सुनवाई के दौरान, पुलिस विभाग ने सूचित किया कि जहां तक मास्क लगाने का संबंध है, एक से 21 मार्च, 2021 के बीच उसने प्रयागराज शहर में मास्क नहीं लगाने के लिए केवल 1,192 लोगों का चालान किया. अधिवक्ता आयुक्त चंदन शर्मा ने अदालत को बताया कि लगभग ना के बराबर लोग मास्क लगा रहे हैं.


इस बात को गंभीरता से लेते हुए जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने कहा, ''कम संख्या में लोगों पर जुर्माने से पता चलता है कि पुलिस भी लापरवाह हो गई है.'' अदालत ने इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई की तारीख 26 मार्च निर्धारित की है.


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