Allahabad High Court: उत्तर प्रदेश (UP) की योगी सरकार (Yogi Government) को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सरकारी वकीलों की नियुक्ति मामले में सरकार को राहत मिली है. दरअसल सरकारी वकीलों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट से खारिज कर दी गई है. हाईकोर्ट ने नियुक्ति में नियमों की अनदेखी का आरोप बेबुनियाद माना है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि याचिका में लगाए गए आरोपों का ठोस आधार नहीं है.


कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मनमाने तरीके से नियुक्ति का आरोप लगाकर जनहित याचिका दाखिल की गई थी. जनहित याचिका में नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए गए थे. महिला वकील सुनीता शर्मा और अन्य लोगों ने जनहित याचिका दाखिल की थी. चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका खारिज की.


तीन अगस्त को फैसला रख लिया था सुरक्षित


गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन अगस्त को राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्तियों में मनमानी और सुप्रीम कोर्ट से घोषित मानकों का पालन न करने के आरोप में दाखिल जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया था. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया था. अधिवक्ता सुनीता शर्मा और प्रियंका श्रीवास्तव की जनहित याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि सरकारी वकीलों को नियुक्त करते समय राज्य की ओर से विहित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.


'विचाराधीन मुकद्दमों की संख्या बढ़ रही'


अधिवक्ता ने यह भी कहा कि नियुक्त किए गए तमाम अधिवक्ताओं में हाईकोर्ट में वकालत के अनुभव योग्यता की कमी है, जिससे मुकदमों की सुनवाई करने से विचाराधीन मुकद्दमों की संख्या बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि ऐसे कई अधिवक्ताओं को राज्य विधि अधिकारी के रूप में नियुक्ति दी गई है, जिन्हें हाईकोर्ट में न्यायिक कार्य का अनुभव नहीं है और हाईकोर्ट में उनका रजिस्ट्रेशन दो या तीन वर्ष पूर्व का है.


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