प्रयागराज: अपनी पसंद के मुस्लिम युवक से शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन करने वाली बिजनौर की युवती की सुरक्षा से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेहद अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने जहां युवती को उसके परिवार से मिल रही धमकी और जान के खतरे के मामले में पुलिस को ज़रूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं तो वहीं उसके पति को तीन लाख रूपये की आर्थिक सुरक्षा देने का भी हुक्म दिया है. अदालत ने केस की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा है कि धर्म परिवर्तन की वजह से समाज में अलग थलग पड़ चुकी युवती को आर्थिक सुरक्षा मिलना बेहद ज़रूरी है. किसी भी विपरीत हालात में यह रकम उसके जीवन यापन में मददगार साबित हो सकती है.
तीन लाख रुपये का फिक्स डिपॉजिट
अदालत ने इसी आधार पर युवती के पति को उसके नाम तीन लाख रूपये का फिक्स डिपॉजिट कर उसकी ओरिजनल कॉपी कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है. अदालत ने इसके लिए पति शादाब अहमद को एक महीने की मोहलत दी है. दूसरी तरफ कोर्ट ने अपने फैसले में यह साफ़ तौर पर कहा है कि परिवार व किसी भी व्यक्ति को बालिग़ लोगों की शादीशुदा ज़िंदगी में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है. अगर परिवार को बेटे या बेटी द्वारा दूसरे धर्म या जाति में किया गया रिश्ता पसंद नहीं है तो वह उनसे सामाजिक रिश्ता तोड़ सकते हैं. उनसे अपने संबंध ख़त्म कर सकते हैं, लेकिन उन्हें हिंसा की धमकी देकर डरा नहीं सकते और उन्हें कतई परेशान भी नहीं कर सकते.
बिजनौर की संगीता बन गई शाइस्ता
यह आदेश जस्टिस सरल श्रीवास्तव की सिंगल बेंच ने बिजनौर के नगीना इलाके की रहने वाली संगीता उर्फ़ शाइस्ता परवीन की अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है. मामले के मुताबिक़ बिजनौर की रहने संगीता एक मुस्लिम युवक शादाब से प्रेम करती थी. परिवार वालों द्वारा रिश्ते पर एतराज किये जाने के बाद संगीता ने अपना धर्म परिवर्तन कर पसंद के युवक के साथ निकाह कर लिया और उसके साथ रहने लगी. निकाह करने के लिए संगीता ने अपना नाम शाइस्ता परवीन रख लिया.
परिवार वालों ने दी धमकी
संगीता के परिवार वालों ने इसके बाद उसे और उसके पति को जान से मारने व अंजाम भुगतने की धमकी दी. उनके साथ मारपीट करने की भी कोशिश की गई. पिता -भाई व परिवार के अन्य लोगों से मिल रही धमकियों के बाद सुरक्षा की मांग को लेकर संगीता उर्फ़ शाइस्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की. इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जहां एक तरफ परिवार वालों से बचाव के लिए बिजनौर के एसपी को निर्देशित किया तो वहीं पीड़ित युवती की आर्थिक सुरक्षा के लिए उसके पति से उसके नाम तीन लाख रूपये का फिक्स डिपॉजिट किये जाने को भी कहा.
बेहद कम थी मेहर की रकम
पीड़िता के वकील सुशील तिवारी के मुताबिक़ दरअसल सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने यह मामला आया कि धर्म परिवर्तन कर अपनी पसंद के युवक से शादी करने के बाद संगीता उर्फ़ शाइस्ता के परिवार वाले ही उसके खिलाफ हो गए हैं. वह सामाजिक तौर पर भी अलग थलग कर दी गई है. निकाह के दौरान मेहर की रकम भी बेहद कम रखी गई थी. ऐसे में कोर्ट ने उसे आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए उसके पति को उसके नाम तीन लाख रूपये का फिक्स डिपॉजिट कराने को कहा. अदालत इस मामले में आठ फरवरी को फिर से सुनवाई करेगी.
इस मामले में अदालत ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए भारत एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश है. देश के क़ानून के मुताबिक़ कोई भी युवक व युवती बालिग़ होने के बाद अपनी पसंद के जीवनसाथी को चुन सकता है. उसके साथ रह सकता है और शादी भी कर सकता है. अदालत ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के कुछ पुराने फैसलों को भी आधार बनाया है.
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