इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी PCS अभ्यर्थी को दी बड़ी राहत, लोकसेवा आयोग को दिया ये निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगामी उप्र लोक सेवा आयोग की पीसीएस मुख्य परीक्षा के लिए एक छात्र को राहत दी है. हाईकोर्ट ने उप्र लोक सेवा आयोग की पीसीएस मुख्य परीक्षा में छात्र से हार्ड कॉपी स्वीकार कर परीक्षा में बैठने का निर्देश दिया है.
प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22 सितम्बर से होने वाली उप्र लोक सेवा आयोग की पीसीएस मुख्य परीक्षा फॉर्म की अप्लाई करने वाले छात्र से हार्ड कॉपी स्वीकार कर परीक्षा में बैठने देने का निर्देश दिया है. एक छात्र कोरोना वायरस संक्रमण के चलते देशव्यापी लॉकडाउन और कन्टेनमेन्ट जोन में फंसे होने के कारण ऑनलाइन भरे गये फॉर्म की हार्ड कॉपी निर्धारित अवधि के बाद जमा करने गया तो आयोग ने स्वीकार नहीं किया. जिस पर अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट की शरण ली थी.
हाईकोर्ट ने दी छात्र को राहत
हाईकोर्ट ने छात्र को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने कहा कि विशेष परिस्थिति के कारण फॉर्म जमा करने में देरी हुई है. जिस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था. कोर्ट ने कहा कि आयोग दाखिल दस्तावेजों का सत्यापन कर मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दे. कोर्ट ने आयोग से याचिका पर 3 हफ्ते में जवाब भी मांगा है. याचिका की अगली सुनवाई 12 अक्तूबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एम के गुप्ता ने प्रयागराज के सार्थक रहेजा की याचिका पर दिया है.
कोरोना संक्रमण के कारण फॉर्म जमा करने में हुई देरी
याचिकाकर्ता सार्थक रहेजा का कहना है कि 'वह दिल्ली में था और कोरोना के चलते देश व्यापी लॉकडाउन लागू कर दिया गया. इसके बाद वह कन्टेनमेन्ट जोन में फंस गया. सारे शैक्षिक दस्तावेज प्रयागराज में थे. वह डाक से फॉर्म भेजने की स्थिति में नही था. लॉकडाउन खुलने के बाद प्रयागराज आया और 15 दिन सेल्फ क्वारेन्टाइन में रहा. 16 जून को फॉर्म जमा करने आयोग पहुंचा तो जमा करने से इंकार कर दिया गया. उसी समय डाक से भेजा. किन्तु कोई निर्णय नहीं लेने पर कोर्ट की शरण ली है.'
27 फरवरी को डाउनलोड किया था ऑनलाइन फॉर्म
आयोग के अधिवक्ता का कहना है कि याचिकाकर्ता ने ऑनलाइन फॉर्म 27 फरवरी को ही डाउनलोड कर लिया था. उसे अंतिम तिथि तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं थी. आयोग ने 15 मई तक फॉर्म जमा करने की तिथि बढ़ा दी थी. फिर भी याचिकाकर्ता समय से फॉर्म जमा नहीं कर सका.
बता दें कि प्रारंभिक परीक्षा में सफल याचिकाकर्ता ने मुख्य परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन भरा था. जिसे डाउनलोड कर आयोग में 26 मार्च तक जमा करना था. यदि डाक से भेजा जाता तो 26 मार्च तक आयोग को मिल जाता, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लगे देशव्यापी लॉकडाउन के कारण याचिकाकर्ता किसी भी तरह से अपना फॉर्म जमा नहीं कर सका. जिसके बाद अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट की शरण ली.
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