2047 तक भारत को 'मुस्लिम राष्ट्र' बनाने की साजिश के आरोपी को मिली जमानत, PFI का था सदस्य
PFI के एक सदस्य मुनीर आलम को इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने जमानत दी है. उस पर राष्ट्रविरोधी और असामाजिक कार्य करने का आरोप है.
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Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूएपीए की धाराओं में आरोपी मुनीर आलम को जमानत दी है. आलम को देश में 'गज़वा-ए-हिंद' स्थापित करने और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को मजबूत करने के आरोप में जुलाई 2023 में गिरफ्तार किया गया था. जज जस्टिस अताउर्रहमान मसूदी और जज जस्टिस सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने मुनीर को जमानत दी.
मुनीर को जमानत देने के संदर्भ में कोर्ट का आधार था कि आरोपी के सह अभियुक्त को पहले जमानत दी जा चुकी है.दावा है कि पीएफआई मुनीर को गैर सामाजिक कार्यों के लिए फंड मुहैया कराता था. कोर्ट ने पाया कि अदालत ने ऐसे ही मामले में मुफ्ती शहजाद, मौलाना साजिद, मोहम्मद इस्लाम कासिम और मोहम्मद शादाबद आजिज कासमी को जमानत दे चुकी है. इसी आधार पर अदालत ने मुनीर को जमानत दी.
साल 2022 में 24 सिंतबर को मेरठ के एक पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई. एटीएस समेत कई एजेंसियों द्वारा मिले इनपुट का हवाला देते हुए आरोप लगाया गया कि साल 2047 तक देश को तोड़ने और मुस्लिम राष्ट्र बनाने की साजिशों में पीएफआई शामिल है.
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इन धाराओं में दर्ज हुई एफआईआर
मेरठ में धारा 120-बी, 121-ए, 153-ए, 295-ए, 109, 505 (2) आईपीसी और धारा 13 (1) (ए), 13 (1) (बी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धआरा 39 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार मोहम्मद शादाब अजीज की अगुवाई में मौलनाना साजिद, मुफ्ती शहजाद और मोहम्मद इस्लाम कासमी सक्रिय रूप से अपने संगठन को मजबूत कर रहे थे और भारत में गजवा ए हिन्द लाने की दिशा में काम कर रहे थे. इस पूरे मामले में मुनीर का नाम तब सामने आया जब पीएफआई ने कथित तौर पर उसके खाते में पैसे भेजे.
इसके बाद यूपी पुलिस ने जुलाई 2023 में मुनीर को गिरफ्तार किया था. इसके बाद उसे 10 दिन की एटीएस रिमांड पर लिया गया था.
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