Prayagraj News: खुदकुशी के लिए उकसाने वाले आरोपी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत, जमानत याचिका की मंजूर
UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने वाले आरोपी को बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने आरोपी युवक की जमानत याचिका मंजूर कर ली है.
Prayagraj News: शेयर मार्केट में नुकसान उठाने के बाद एक युवक ने साल 2022 में खुदकुशी कर ली थी. जिसके सुसाइड नोट के आधार पर उसे आत्महत्या के उकसाने वालों पर हाईकोर्ट में चल रहे केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी युवक को जमानत दे दी है. दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शेयर मार्केट में नुकसान उठाने वाले युवक को खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोपी युवक की जमानत याचिका मंजूर कर ली है.
शेयर मार्केट में नुकसान उठाने वाले युवक को खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोपी रितेश पांडेय को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी युवक की जमानत याचिका मंजूर की है. कोर्ट ने आरोपी रितेश पांडेय की जमानत अर्जी मंजूर कर उसे जेल से रिहा किए जाने का आदेश दिया है.
शेयर मार्केट में नुकसान होने पर युवक ने की थी आत्महत्या
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 और 107 के तहत आरोप नहीं बनते हैं. यह पूरा मामला प्रयागराज के फाफामऊ थाना क्षेत्र का बताया जा रहा है, जहां 12 अप्रैल 2022 को शेयर मार्केट में ट्रेडिंग का कारोबार करने वाले शिवम पांडेय नाम के एक युवक ने खुदकुशी कर ली थी. उसके पास से बरामद हुए सुसाइड नोट में साथ मिलकर ट्रेडिंग का कारोबार करने वाले विशाल मिश्रा और रितेश पांडेय को खुदकुशी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था.
हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत
शिवम पांडेय के सुसाइड नोट के आधार पर मौसेरे भाई हिमांशु मिश्र और रितेश पांडेय नाम के एक अन्य युवक के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत केस दर्ज किया गया था. इसी साल अक्टूबर महीने में रितेश पांडेय की गिरफ्तारी हुई थी. इस मामले में जमानत पाने के लिए रितेश ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई.
हैंडराइटिंग को लेकर फंसा मामला
याचिकाकर्ता रितेश पांडेय की तरफ से हाईकोर्ट में उनकी अधिवक्ता सहर नकवी ने पक्ष उनका पक्ष रखा. याचिकाकर्ता की तरफ से दलील पेश की गई कि FSL रिपोर्ट में भले ही हैंडराइटिंग का मिलान हो गया हो लेकिन यह साबित नहीं हुआ है कि सुसाइड नोट मृतक की राइटिंग में ही लिखा गया था. इसके अलावा यह भी दलील दी गई थी आरोपी और मृतक साथ मिलकर शेयर मार्केट में ट्रेडिंग का काम करते थे.
याचिकाकर्ता के अनुसार मृतक के परिवार वालों ने ही उसके पैसों का गबन किया. मृतक द्वारा सुसाइड किए जाने के बाद परिवार वालों ने ही फर्जी सुसाइड नोट और हैंड राइटिंग का सैंपल रख दिया. हाईकोर्ट ने इन दलीलों को मंजूर करते हुए याचिकाकर्ता की अर्जी मंजूर कर ली और उसे जमानत पर रिहा किए जाने का आदेश दिया.
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