Allahabad High Court News: संगम नगरी प्रयागराज समेत पूरे देश में कोविड के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर सरकार और दूसरे जिम्मेदार लोगों ने अब एक बार फिर से एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. इसी कड़ी में इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज से खुली अदालतों में मुकदमों की सुनवाई पूरी तरह बंद कर दी गई है. हाईकोर्ट में आज से अब सिर्फ वर्चुअल मोड यानी ऑनलाइन तरीके से ही सुनवाई की जा रही है.


लखनऊ बेंच में भी शुरू
खुली अदालतों में सुनवाई पर पूरी तरह रोक लगाकर सिर्फ वर्चुअल माध्यम से ही सुनवाई किए जाने का फैसला कल हाईकोर्ट की प्रशासनिक कमेटी की बैठक में लिया गया था. यह बैठक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल की अध्यक्षता में हुई थी. खुली अदालतों के बजाय सिर्फ वर्चुअल तरीके से ऑनलाइन मोड में ही सुनवाई की व्यवस्था इलाहाबाद में प्रधान पीठ के साथ ही इसकी लखनऊ बेंच में भी शुरू हो गई है. फिलहाल यह व्यवस्था अगले 15 दिनों तक जारी रहेगी. हाईकोर्ट इसके बाद आगे के लिए कोई फैसला लेगा.


वकील इससे खुश नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन दोनों ही इस फैसले से खुश नहीं है और खुली अदालत में मुकदमों की सुनवाई की मांग कर रहे हैं. वकीलों का कहना है कि निश्चित तौर पर हाईकोर्ट ने यह फैसला उन्हें सुरक्षित रखने के लिए किया है लेकिन इससे मुकदमों की सुनवाई बुरी तरह प्रभावित होगी और वादकारियों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. वकीलों का कहना है कि एक तरफ तो सियासी पार्टियां रैलियों और सभाओं में लाखों की भीड़ इकट्ठा कर उनकी जिंदगी खतरे में डाल रही हैं. सिर्फ वोटबैंक के लालच में कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और वहीं दूसरी तरफ वकीलों पर पाबंदियां लगाया जाना कतई ठीक नहीं है.


हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राधाकांत ओझा का कहना है कि व्यवस्था में थोड़ा बदलाव लाकर मुकदमों की सुनवाई खुली अदालत में होने पर भी विचार होना चाहिए. कोर्टरूम और अदालत परिसर में सीमित संख्या में वकीलों को इंट्री देकर सुनवाई की जा सकती है. इसी तरह महिला वकील ताहिरा शबनम ने भी खुली अदालत में सुनवाई पर रोक लगाए जाने पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि दोनों तरह की व्यवस्था होनी चाहिए. जो वकील जिस व्यवस्था से सुनवाई कराना चाहे कोर्ट को उसी माध्यम से सुनवाई करनी चाहिए.




ताहिरा शबनम का कहना है कि एक तरफ तो चुनावी रैलियों में भीड़ जुटाई जा रही है और दूसरी तरफ से मुकदमों में सुनवाई पर पाबंदी लगाकर दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है. इसी तरह महिला वकील सहर नकवी का कहना है कि अगर यह व्यवस्था लागू ही करनी थी तो उसके लिए वकीलों को कुछ दिन पहले से सूचना देनी चाहिए थी. सहर नकवी ने कहा है कि वर्चुअल सुनवाई में कभी लिंक नहीं मिल पाता है तो कभी इंटरनेट कनेक्टिविटी की दिक्कत आती है. ऐसे में ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों ही व्यवस्था होनी चाहिए.


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