Allahabad High Court On Agra Jama Masjid: आगरा की जामा मस्जिद का आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से सर्वेक्षण कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सोमवार (5 अगस्त) को सुनवाई हुई. इलाहाबाद हाईकोर्ट में याची अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने दलीलें पेश की. कोर्ट ने वाद संख्या तीन की पत्रावली दुरुस्त करने का निर्देश दिया.
कोर्ट में वाद संख्या 8 और 10 में भी सुनवाई हुई. याची अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत से शाही ईदगाह मस्जिद के पक्षकार बनाये जाने का विरोध किया. उनकी ओर से दलील दी गई है कि शाही ईदगाह मस्जिद का इस केस से कोई लेना-देना नहीं है. इस आपत्ति को लेकर उनकी ओर से अर्जी दी गई है.
12 अगस्त को होगी अलगी सुनवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याची अधिवक्ता ने आपत्ति पर हलफनामा मांगा है. वहीं एएसआई की ओर से भी अभी जवाब दाखिल नहीं किया गया है. मामले में अब 12 अगस्त को अगली सुनवाई होगी. अगली सुनवाई पर याची अधिवक्ता बची हुई दलीलें पेश करेंगे. भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव और अन्य वादों की हाईकोर्ट एक साथ सुनवाई कर रहा है.
मूर्तियों को छिपाए जाना का दावा
सिविल वाद संख्या तीन में मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे श्री कृष्ण जन्म स्थान में रखी मूर्तियों को छिपाए जाने का दावा करते हुए एएसआई सर्वेक्षण कराए जाने की मांग की गई है. मथुरा मामले के हिंदू पक्षकार और अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने याचिका दाखिल की है. जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई.
बता दें कि एएसआई से सर्वेक्षण की मांग करते हुए दावा किया गया है कि मुगल राजा औरंगजेब ने 1670 में मथुरा केशव देव मंदिर को तोड़ दिया था और मूर्ति के अवशेषों को आगरा जमा मस्जिद में दफ्न किया था.
याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका में कहा गया है कि 1670 में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि स्थान पर हमला बोलकर मंदिर में रखी मूर्तियां लूट ली थी. दावा किया गया है कि यह मूर्तियां आगरा की जामा मस्जिद में सीढ़ियों के नीचे रखी हुई हैं.सर्वेक्षण के नतीजे के आधार पर मूर्तियों को बरामद कर उन्हें वापस जन्म स्थान पर रखे जाने की मांग की गई है. याचिका में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ ही जामा मस्जिद की कमेटी को भी पक्षकार बनाया गया है.
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