प्रयागराज: यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार के धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. अध्यादेश को संविधान के खिलाफ और गैरजरूरी बताते हुए चुनौती दी गई है. यूपी सरकार ने अदालत में सुप्रीम कोर्ट में चल रही मामले की सुनवाई का हवाला देते हुए याचिकाओं को खारिज करने की मांग की, जिसे हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया.


फ्रेश मामले के तौर पर 15 जनवरी को होगी सुनवाई
चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस एसएस शमशेरी की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में स्टे नहीं दिया है, लिहाजा हाईकोर्ट फ्रेश मामले के तौर पर 15 जनवरी को सुनवाई करेगी. याचिकाकर्ताओं की तरफ से जवाब दाखिल करने के लिए मोहलत मांगी गई जिसपर अदालत ने उन्हें एक हफ्ते का समय दिया है. याचिकाकर्ताओं की तरफ से अध्यादेश को संविधान के खिलाफ और गैर जरूरी बताते चुनौती दी गई है. अध्यादेश के दुरुपयोग की भी याचिकाओं में आशंका जताई गई है.


5 जनवरी को यूपी सरकार ने दाखिल किया था जवाब
बता दें कि, यूपी सरकार के धर्मांतरण अध्यादेश के खिलाफ चार अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की गई हैं. मामले में यूपी सरकार ने 5 जनवरी को अपना जवाब दाखिल किया था. 102 पन्नों के जवाब में सरकार ने कहा था कि कानून व्यवस्था के मद्देनजर ये अध्यादेश लाया गया है. सरकार ने अपने जवाब में अध्यादेश को जरूरी बताया है.


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