Shri Karishna Janmbhoomi Case: मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले याचिकाओं की पोषणीयता पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई पूरी हो गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहस पूरी होने के बाद याचिकाओं की पोषणीयता पर अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया है. इस मामले में फैसला जुलाई महीने में आने की उम्मीद है.
जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें मुस्लिम पक्ष की ओर से बात संख्या 9 और 16 में बहस पूरी हो गई. अभी सिर्फ याचिकाओं की पोषणीयता के बिंदु पर ही जजमेंट रिजर्व हुआ है. हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल की गई याचिकाओं पर ईदगाह कमेटी ने ऑर्डर 7 रूल्स 11 के तहत आपत्ति जताई है.
मुस्लिम पक्ष ने रखी दलीलें
ईदगाह कमेटी की तरफ से याचिकाओं की पोषणीयता पर सवाल उठाए गए हैं और हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की अपील की गई है. मुस्लिम पक्ष की दलील है कि विवादित संपत्ति वक्फ बोर्ड की संपत्ति है इसलिए इस विवाद का निपटारा वक्फ ट्रिब्यूनल में ही हो सकता है. मुस्लिम पक्ष की ये भी दलील है कि है मामला मियाद अधिनियम यानी लिमिटेशन एक्ट से भी बाधित है
हिंदू पक्ष का कहना है कि किसी भी संपत्ति पर अतिक्रमण करना उसकी प्रकृति बदलना और उसे बिना स्वामित्व के वक्फ संपत्ति के रूप में परिवर्तित करना वक्फ की प्रकृति रही है. इस तरह की प्रथा की अनुमति नहीं दी जा सकती है. इस मामले में वक्फ अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होंगे क्योंकि विवादित संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं है.
हिन्दू पक्ष ने की पूजा की इजाजत देने की मांग
हिंदू पक्ष की दलील है कि विवादित स्थल पर जबरन कब्जा करने के बाद नमाज अदा करना शुरू किया गया. इस तरह से जमीन का चरित्र नहीं बदला जा सकता है. दलील दी गई है कि विचाराधीन संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं है इसलिए अदालत को ही इस मामले में सुनवाई का अधिकार है. हिंदू पक्ष की याचिकाओं में विवादित परिसर को भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि बताकर उसे हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग की गई है और वहां पूजा पाठ की इजाजत दिए जाने की मांग की गई है.
अयोध्या विवाद की तर्ज पर इलाहाबाद हाईकोर्ट मथुरा के मंदिर मस्जिद विवाद को जिला अदालत के बजाय सीधे तौर पर सुन रहा है. हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल की गई 18 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही है. ज्यादातर अर्जियों में विवादित स्थल हिंदुओं को दिए जाने की मांग की गई है.
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