प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन के आरोपियों के लखनऊ शहर में जगह -जगह पोस्टर और फोटो लगाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद आज अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया है। अदालत इस मामले में कल दोपहर 2 बजे अपना फैसला सुनाएगी।


पोस्टर लगाए जाने के विवादित मामले में यूपी सरकार अदालत में हुई सुनवाई के दौरान अपने स्टैंड पर पूरी तरह कायम रही। एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह और एडिशनल एडवोकेट जनरल नीरज त्रिपाठी ने सरकार का पक्ष रखते हुए चौराहों पर पोस्टर व फोटों लगाए जाने की कार्रवाई को सही बताया।


सरकार की तरफ से कहा गया कि इस मामले में नियमों का पूरी तरह पालन किया गया। जिन आरोपियों की तस्वीरें लगाई गईं, उनमे से एक -एक के बारे में पुख्ता सबूत जुटाए गए हैं। वीडियो फुटेज व तस्वीरों से मिलान कर आरोपियों की पहचान की गई। उसके बाद ही पोस्टर व तस्वीरें लगाई गई हैं।



यूपी सरकार की तरफ से इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के कुछ पुराने फैसलों का हवाला भी दिया गया। सरकारी वकीलों ने इस मामले को पीआईएल यानी याचिका के रूप में तब्दील किये जाने के हाईकोर्ट के फैसले पर भी एतराज जताया और कहा कि अगर ऐसे मामलों में किसी को आपत्ति हो सकती है तो वह सिर्फ उन आरोपियों को ही, जिनकी तस्वीरें पोस्टरों में लगाई गई हैं।


दोपहर को दूसरी बार हुई सुनवाई में कोर्ट रूम में सिर्फ एडवोकेट जनरल और एडिशनल एडवोकेट जनरल ही मौजूद थे। सरकारी वकीलों के अलावा दूसरे वकीलों को कोर्ट रूम में नहीं जाने दिया गया। सुनवाई करीब एक घंटे तक चली थी। अब सबकी नजरें कल दोपहर 2 बजे आने वाले फैसले पर रहेगी।



इससे पहले सुबह 10 बजे कुछ देर हुई सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पोस्टर लगाए जाने के फैसले को गलत मानते हुए यूपी सरकार को फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में सुओ मोटो लेते हुए कहा था कि बिना दोषी साबित हुए इस तरह से किसी के फोटो व पोस्टर लगाना उसके दिल को ठेस पहुंचाना और उसकी निजता का हनन है।


अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस तरह की पोस्टरबाजी न सिर्फ संबंधित व्यक्तियों का अपमान है, बल्कि यह राज्य का भी अपमान है, क्योंकि राज्य का कर्तव्य होता है कि वह अपने नागिरकों के हितों की रक्षा करे।



गौरतलब है कि लखनऊ में आरोपियों के पोस्टर लगाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुनिवार रात को सुओ मोटो लेते हुए यूपी सरकार के साथ ही लखनऊ के पुलिस कमिश्नर और डीएम से जवाब-तलब कर लिया था और उनसे आज सुबह 10 बजे जवाब दाखिल करने को कहा था।


हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई आज रविवार व होली की छुट्टी के दिन करने का फैसला किया था और इसके लिए स्पेशल डिवीजन बेंच गठित कर दी थी। चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की स्पेशल डिवीजन बेंच में सुबह ठीक 10 बजे मामले की सुनवाई शुरू हुई तो यूपी सरकार की तरफ से कहा गया कि इस मामले में एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह को सरकार का पक्ष रखना है। खराब मौसम की वजह से उनकी फ्लाइट दिल्ली से उड़ान नहीं भर सकी है, इसलिए कुछ मोहलत दी जाए।



अदालत ने इस पर तीन बजे तक के लिए सुनवाई टाल दी थी, लेकिन साथ ही टिप्पणी करते हुए पोस्टर लगाने को गलत माना था और कहा था कि यह आरोपियों का ही नहीं बल्कि राज्य का भी अपमान है और यह कदम दिलों को ठेस पहुंचाने वाला है।