प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के उच्च शिक्षा निदेशक पर एक लाख रूपये का हर्जाना लगाया है। यह हर्जाना याची को बेवजह पांच राउंड की मुकदमेबाजी में उलझाने के लिए लगाया है। कोर्ट ने याची के सेवानिवृत्ति परिलाभों से काटे गए 4 लाख 28 हजार 789 रूपये 7 फीसदी ब्याज सहित 6 हफ्ते में वापस करने का निर्देश दिया है और कहा है कि याची को ग्रेच्युटी राशि के भुगतान में देरी पर भी ब्याज पाने का हक है।


यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने गोविन्द बल्लभ पंत महाविद्यालय कछाला बदायूं के सेवानिवृत्त हेड क्लर्क ओम प्रकाश तिवारी की याचिका पर दिया है। याची को प्रबन्ध समिति ने 7 अक्टूबर 1984 को निलंबित कर दिया और 4 मई 85 को सेवा से हटा दिया गया। जिसे चुनौती दी गयी। 8 दिसम्बर 2014 को याचिका मंजूर करते हुए कोर्ट ने बर्खास्तगी रद्द कर दी और पेंशन आदि के भुगतान का निर्देश दिया।


विभाग द्वारा अदालत के आदेश का पालन नही किया गया तो अवमानना याचिका दाखिल हुई। इस पर विभाग ने परिलाभों से यह कहते हुए प्रबंधकीय अंशदान 4 लाख 28 हजार काट लिए गए की याची ने वेतन लिया और अंशदान जमा नहीं किया,जबकि याची को निलंबन की तिथि 4 मई 85 से सेवानिवृत्ति 30 जुलाई 2009 तक वेतन नहीं मिला। कोर्ट ने बकाये वेतन के भुगतान का आदेश ही नहीं दिया था। प्रबन्ध समिति ने कल्पना कर ली कि याची ने वेतन लिया है।कोर्ट ने कटौती को गलत करार दिया है।