Allahabad High Court: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को बुलंदशहर के जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वह अदालत को अवगत कराएं कि क्या 12 वर्षीय दुष्कर्म पीड़ित जिसका अदालत की अनुमति से गर्भपात कराया गया है, उत्तर प्रदेश रानी लक्ष्मी बाई महिला सम्मान कोष 2015 के तहत मुआवजा पाने की हकदार है. अदालत ने यह भी अवगत कराने को कहा कि क्या पीड़ित लड़की की मां जो कि श्रमिक है, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास पाने की हकदार है.


न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की पीठ ने 12 वर्षीय दुष्कर्म पीड़ित की ओर से दायर रिट याचिका पर यह आदेश पारित किया. मूक बधिर इस लड़की ने अपने 25 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति मांगी थी. सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार ने अदालत को अवगत कराया कि लड़की का 15-16 जुलाई की रात गर्भपात करा दिया गया. अदालत ने इस मामले में दर्ज प्राथमिकी के संबंध में की जा रही विवेचना की स्थिति जाननी चाही और मामले की अगली सुनवाई के लिए नौ अगस्त की तिथि निर्धारित की.


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शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को खतरा
इससे पूर्व, 12 जुलाई को अदालत ने मेडिकल बोर्ड की राय को ध्यान में रखते हुए दुष्कर्म पीड़ित लड़की को गर्भपात कराने की चिकित्सीय प्रक्रिया से गुजरने की अनुमति प्रदान की थी. मेडिकल बोर्ड ने राय जाहिर की थी कि गर्भधारण बने रहने से नाबालिग लड़की के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को खतरा रहेगा. अदालत ने 11 जुलाई को कहा था कि यौन शोषण की शिकार महिला को उस बच्चे को जन्म देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता जो बच्चा यौन शोषण करने वाले व्यक्ति का है और यदि ऐसा किया जाता है तो यह अकथनीय दुख में परिणीत होगा.


अधिवक्ता राघव अरोड़ा ने कहा, “सुनवाई की अगली तारीख पर राज्य सरकार यह अवगत कराएगी कि क्या दुष्कर्म पीड़ित लड़की उत्तर प्रदेश रानी लक्ष्मी बाई महिला सम्मान कोष, 2015 के तहत मुआवजा पाने की हकदार है या नहीं और इस आपराधिक मामले में जांच की क्या स्थिति है.”