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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
उत्तर प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण के नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करे सरकार
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर सख्त रुख अपनाया है। अदालत का कहना है कि कोई भी शख्स इसका उल्लंघन करता पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो।
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प्रयागराज, एजेंसी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्दश दिया कि कोई भी व्यक्ति प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण के नियमों का उल्लंघन न करे। न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल और न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की पीठ ने प्रयागराज के सुशील चंद श्रीवास्तव नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता का आरोप है कि पूरे प्रयागराज शहर में भारी संख्या में एलसीडी लगाए गए हैं जिनसे सुबह से रात्रि तक अनुमति योग्य सीमा से अधिक ध्वनि प्रदूषण होता है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा इस संबंध में इस दिए गए निर्देशों और कानूनों को लागू करने में अधिकारी विफल रहे हैं। अदालत ने ध्वनि के मानक तैयार करने और उन्हें लागू करने के उद्देश्य से राज्य के शहरों को औद्योगिक, वाणिज्यिक, रिहाइशी या शांत क्षेत्र में वर्गीकृत करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि संबंधित थाने के एसएचओ या निरीक्षक को इन आदेशों और इस संबंध में बनाए गए नियमों का निजी तौर पर अनुपालन सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपा जाता है। अदालत ने कहा कि इस आदेश का अनुपालन कराने के लिए इसकी एक प्रति राज्य के मुख्य सचिव को भेजे जाने का निर्देश दिया जाता है। “ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 का कोई भी उल्लंघन एक नागरिक के मौलिक अधिकार का हनन माना जाएगा।”