प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थित यूपी के महाधिवक्ता ऑफिस में अब सरकारी वकीलों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है. शासकीय अधिवक्ता व मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने आज ऐसा निर्णय प्रयागराज मे तेजी से बढ़ रहे कोरोना वायरस को देखते हुए लिया. दोनों अधिकारियों ने अपने संयुक्त हस्ताक्षर से आदेश जारी कर कहा है कि केवल उन्हीं राज्य विधि अधिकारी को ऑफिस आने की अनुमति होगी जिनको फोन कर आने को कहा जाएगा. अन्यथा की स्थिति में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए किसी भी सरकारी वकील को फिलहाल अगले आदेश तक आने की जरूरत नहीं है.


वहीं हाईकोर्ट ने भी कोरोना वायरस के बढ़ रहे खतरे को देखते हुए निर्णय लिया है कि 22 जुलाई से हाईकोर्ट में मुकदमों की सुनवाई वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग से ही होगी. यही नहीं अब हाईकोर्ट में मुकदमों के दाखिले भी ई- फाइलिंग से ही होगा. यह निर्णय अगले आदेश तक जारी रहेगा.


वकीलों का प्रवेश वर्जित


दूसरी तरफ हाईकोर्ट से लगे महाधिवक्ता कार्यालय में सभी राज्य विधि अधिकारियों (सिविल व आपराधिक) दोनों का प्रवेश वर्जित है. ऑफिस के कुछ अधिकारियों का कोरोना टेस्ट में रिपोर्ट पाजिटिव आई है.


यह फैसला कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए लिया गया है. शासकीय अधिवक्ता शिव कुमार पाल व मुख्य स्थायी अधिवक्ता विकास चंद्र त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से इस आशय का निर्देश दिया है.


केसों से जुड़े नोटिस मेल पर लिये जाएंगे


वहीं कार्यालय में अनावश्यक भीड़ को रोकने के लिए शासकीय अधिवक्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन तथा एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष व सचिव को पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि अब कार्यालय में क्रिमिनल केसों की नोटिस मेल पर प्राप्त की जाएगी. कार्यालय मुकदमों की ई-नोटिस लेगा और उसी मेल पर रिसीविंग भेज देगा. यह व्यवस्था 22 जुलाई से लागू हो जाएगी.


इस व्यवस्था के लिए मेल आईडी जारी की गई है, और कहा गया है कि नोटिस नंबर की जानकारी उसी मेल से भेजी जायेगी, जिससे नोटिस प्राप्त की गयी होगी. शासकीय अधिवक्ता शिव कुमार पाल ने बार संगठनों से अनुरोध किया है कि वे इसकी जानकारी सभी अधिवक्ता सदस्यों को दे दें.


ये भी पढ़ें.


यूपी: बाबरी मस्जिद मामले में इस तारीख को दर्ज होगा आडवाणी और जोशी का बयान


यूपी: विकास दुबे के दोस्त जय बाजपेयी और प्रशांत शुक्ला को भेजा गया जेल, विकास को दिए थे 25 कारतूस और 2 लाख रुपये