Mohammed Zubair: मोहम्मद ज़ुबैर की याचिका पर सुनवाई से न्यायाधीशों ने खुद को किया अलग, जानें क्या है मामला
मोहम्मद जुबैर की याचिका पर जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की डिवीजन बेंच सुनवाई कर रहे थे. यह मामला यति नरसिंहानंद के एक वीडियो से जुड़ा हुआ है.
Mohammed Zubair: ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर की याचिका पर सुनवाई टल गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनवाई से खुद को अगल किया. कोर्ट ने दूसरी पीठ नामित करने के लिए मामला चीफ जस्टिस को रेफर किया. जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की डिवीजन बेंच ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.
मोहम्मद जुबैर पर तीन अक्टूबर को यति नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम का एक वीडियो क्लिप पोस्ट करने का आरोप है, जिसके जरिए उनके खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप है. पिछली सुनवाई में विवेचक की ओर से अदालत को जानकारी दी गई थी. जुबैर के खिलाफ गाजियाबाद पुलिस ने दर्ज एफआईआर में दो और धाराएं जोड़ी हैं.
मामले में बीएनएस की धारा 152, जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को आपराधिक बनाती है. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 को मोहम्मद जुबैर के खिलाफ पिछले महीने दर्ज एफआईआर में जोड़ा गया है. एफआईआर यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी की दर्ज शिकायत के अनुसार दर्ज की गई है.
इन धाराओं में मामला दर्ज
जुबैर के खिलाफ एफआईआर शुरू में बीएनएस की धारा 196 (धार्मिक आधार पर अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 228 (झूठे साक्ष्य का निर्माण), 299 (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 356(3) (मानहानि) और 351(2) (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत दर्ज की गई थी.
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जुबैर ने याचिका में कहा है कि उनका एक्स पोस्ट यति नरसिहानंद के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं करता है. उन्होंने केवल पुलिस अधिकारियों को यति नरसिंहानंद के बारे में सूचित किया था. पोस्ट के जरिए कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की थी. यह दो वर्गों के लोगों के बीच असामंजस्य या बुरी भावना को बढ़ावा देने का कारण नहीं बन सकता है.
जुबैर की ओर से दाखिल याचिका में एफआईआर रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गई है. यूपी पुलिस ने कोर्ट को बताया है की निष्पक्षता के साथ मामले की विवेचना हो रही है.