UP News: विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव के आपत्तिजनक भाषण का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के कई वकीलों ने जस्टिस शेखर यादव के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र भेजकर इस मामले में दखल दिए जाने, उनसे सभी न्यायिक कार्य वापस लिए जाने और कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की है. 


हाईकोर्ट के वकीलों ने चीफ जस्टिस को ईमेल के माध्यम शिकायती पत्र भेजा है. अधिवक्ता केके राय, राजवेंद्र सिंह, चार्ली प्रकाश, प्रमोद गुप्ता और मो नईम सिद्दीकी के हस्ताक्षर से पत्र भेजा गया है. पत्र में लिखा गया है कि जस्टिस शेखर कुमार यादव का भाषण भारतीय संविधान एवं संवैधानिक मूल्यों में अविश्वास प्रकट करने की सार्वजनिक घोषणा है. उनका भाषण संविधान की शपथ का सीधे तौर पर खुला उल्लंघन है. 


वकीलों ने किया आग्रह
जस्टिस शेखर कुमार यादव के भाषण से साफ है कि वह निष्पक्ष होकर न्यायिक कार्य को जारी नहीं रख सकते और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का इनके द्वारा हनन होगा. इनकी सोच संविधान के मूल्यों के विपरीत है. पत्र के जरिए इन अधिवक्ताओं ने चीफ जस्टिस से आग्रह किया है कि जस्टिस शेखर कुमार यादव के भाषण पर तत्काल संज्ञान लेते हुए वैधानिक कार्यवाही की जाए. शिकायती पत्र भेजने वाले अधिवक्ताओं ने जस्टिस शेखर यादव से सभी न्यायिक कार्य वापस लिए जाने की अपील की है. इसके साथ ही जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया हैं. 


वहीं आल इंडिया लायर्स यूनियन ने भी जस्टिस शेखर कुमार यादव के भाषण पर आपत्ति जताई है. उनके भाषण को लोकतंत्र और भारत के संविधान के खिलाफ बताते हुए कहा है कि ऐसा भाषण संविधान और उसके द्वारा स्थापित मूल्यों पर हमला है. चीफ जस्टिस को भेजे पत्र में लिखा गया है, 'जस्टिस यादव ने अल्पसंख्यक मुसलमानों पर टिप्पणी की और 'कठमुल्ला' शब्द का इस्तेमाल किया और उन्हें देश के लिए खतरनाक बताया है. उन्होंने 'लोकतंत्र' को बहुसंख्यक शासन (धार्मिक बहुसंख्यक) और कई अन्य आपत्तिजनक शब्दों और अवधारणाओं का भी वर्णन किया जो उनके द्वारा बोले गए मानवीय और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं.


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सोशल मीडिया पर किया जा रहा रिपोर्ट
यह भी कहा कि हिंदुओं की सहिष्णुता को कवरडाइस (बार और बेंच) के रूप में गलत नहीं समझा जाना चाहिए. उनके भाषण को 'एक्स' आदि सहित मीडिया और सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया है. पत्र में चीफ जस्टिस से जस्टिस शेखर कुमार यादव के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग की गई है. तमाम अन्य अधिवक्ताओं और संगठनों ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट कैंपस में हिंदू परिषद के कार्यक्रम को अनुमति दिए जाने और जस्टिस शेखर यादव के भाषण को लेकर सवाल उठाए हैं. 


पूरे घटनाक्रम की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है. इस मामले में कड़ी कार्रवाई किए जाने की भी मांग की है. वैसे सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पहले ही संज्ञान ले चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिपोर्ट तलब कर ली है. जस्टिस शेखर यादव अपने करीब 35 मिनट के भाषण की वजह से विवादों और मुसीबत में घिरते नजर आ रहे हैं.